बिलासपुर। न्यायधानी बिलासपुर के जिला अस्पताल की बदहाली का आलम यह है कि यहां बिजली के अचानक चले जाने से अस्पताल में जनरेटरों को स्टार्ट नहीं किया जा सका और यहां डॉक्टरों को मोबाइल टॉर्च की रौशनी में महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन करना पड़ा।
हाई कोर्ट के डंडे के बाद भी
हाई कोर्ट ने कुछ माह पूर्व ही न्यायधानी बिलासपुर के सिम्स अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्था को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। इसके बाद से इस अस्पताल में बड़े पैमाने पर सुधार कार्य किये। हालांकि अब भी यदाकदा सिम्स में गड़बड़ियों की खबरें आती ही रहती हैं। अव्यवस्था के मामले में दूसरा नंबर बिलासपुर के जिला अस्पताल का है, जहां कल महिलाओं की नसबंदी का ऑपरेशन चल रहा था। इस बीच बिजली गुल हो गई। बताया जा रहा है कि इसके बाद जिला अस्पताल में लगे जनरेटर्स को चालू करने का प्रयास किया गया, मगर तब पता चला कि अस्पताल में 7 जनरेटर रखे हुए हैं, मगर इनमें से किसी भी जनरेटर को चालू नहीं किया जा सका।
दूसरे ऑपरेशन करने पड़े स्थागित
बिलासपुर जिला अस्पताल में नसबंदी के ऑपरेशन के दौरान अचानक बिजली चली गई। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि डॉक्टरों को मोबाइल टॉर्च की मदद से मरीज का ऑपरेशन करना पड़ा, जिससे मरीज की जान पर बन आई। डॉक्टरों ने मोबाइल के टॉर्च की रोशनी के सहारे ही ऑपरेशन किया। अस्पताल में बिजली आपूर्ति बाधित होने के बाद नसबंदी सहित अन्य ऑपरेशनों को भी टालना पड़ा।
इतने बड़े अस्पताल में डीजल की कमी
बताया जा रहा है कि ऑपरेशन थियेटर में पॉवर बैकअप देने के लिए अस्पताल में 7 जनरेटर मौजूद होने के बावजूद कोई काम नहीं आया, क्योंकि सभी जनरेटर बंद पड़े थे। जनरेटर बंद रहने का कारण डीजल की कमी बताई जा रही है। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही को उजागर किया है।
बता दें कि कुछ दिन पहले ही जिला अस्पताल, बिलासपुर में दुर्घटना के शिकार एक युवक के इलाज में लापरवाही बरती गई थी। इस मामले कीमीडिया में खबर आने पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है और जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को निर्धारित की गई है। अब चर्चा इस बात की हो रही है कि कल टोर्च की रौशनी में ऑपरेशन किये जाने के मामले को भी हाई कोर्ट संज्ञान में ले सकता है।