रायपुर। छत्तीसगढ़ में शराब और राइस मिलिंग घोटाले में चल रही जांच के सिलसिले में, प्रवर्तन निदेशालय रायपुर क्षेत्रीय कार्यालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA)के तहत अलग-अलग अभियोजन शिकायतें (PC) दर्ज की हैं।
शराब घोटाले में इन्हें बनाया गया आरोपी
ED द्वारा रायपुर में विशेष न्यायालय (PMLA) में 19 जून, 2024, 30 अगस्त, 2024 को बाद तीसरी शिकायत 5 अक्टूबर, 2024 को प्रस्तुत की गईं। जिसमें कुल नौ व्यक्तियों और संस्थाओं को आरोपी बनाया गया। आरोपितों में अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, मेसर्स पेट्रोसन बायो रिफाइनरीज प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स ढिल्लों सिटी मॉल प्राइवेट लिमिटेड, अमित सिंह, मेसर्स आदिप एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड, अनवर ढेबर और अरुणपति शामिल हैं। न्यायालय ने शिकायतों का संज्ञान 5 अक्टूबर, 2024 को लिया।
ईडी-आरपीजेडओ ने अपनी जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद शुरू की।
इस तरह किया गया घोटाला
जांच में 2019 से 2022 के बीच बड़े पैमाने पर हुए शराब घोटाले का पता चला, जिसके दौरान अभियुक्तों ने प्रणालीगत भ्रष्टाचार के माध्यम से अपराध से आय (पीओसी) अर्जित की। इन गतिविधियों में देशी शराब की बिक्री के लिए तीन भट्टियों से अवैध कमीशन वसूलना, अवैध रूप से कच्ची शराब का उत्पादन करना और उसे सीधे सरकारी दुकानों पर बेचना शामिल था। और एफएल-10ए लाइसेंस धारकों से कमीशन अर्जित करना, छत्तीसगढ़ में सरकारी गोदामों में विदेशी शराब की पुनर्बिक्री के लिए, जिससे लगभग 10 प्रतिशत कमीशन मिलता था।
सरकार को हजारों करोड़ का आर्थिक नुकसान
ईडी-आरपीजेडओ की जांच से पता चला है कि इस घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ, जबकि सिंडिकेट के लाभार्थियों को 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की आपराधिक आय हुई। एजेंसी ने पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी सहित प्रमुख व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा, 18 चल और 161 अचल संपत्तियों सहित लगभग 205.49 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है।
पीएमएलए के तहत न्यायाधिकरण ने 7 अक्टूबर, 2024 को इस कुर्की की पुष्टि की। ईडी-आरपीजेडओ इस बड़े पैमाने के घोटाले के पीछे के नेटवर्क को ध्वस्त करने लगातार जांच कर रही है।
राइस मिलिंग घोटाले में जल्द होगा आरोप तय
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), रायपुर ने कस्टम राइस मिलिंग घोटाले के मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत 28.06.2024 को विशेष न्यायालय (पीएमएलए), रायपुर, छत्तीसगढ़ के समक्ष अभियोजन शिकायत (पीसी) दायर की है। मनोज सोनी, आईटीएस अधिकारी और छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) के तत्कालीन प्रबंध निदेशक और छत्तीसगढ़ राज्य चावल मिलर्स एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। विशेष न्यायालय ने 05.10.2024 को पीसी का संज्ञान लिया है और आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए मामले को 26.10.2024 को सूचीबद्ध किया है।
ईडी ने आयकर विभाग, रायपुर द्वारा मनोज सोनी, रोशन चंद्राकर और अन्य के खिलाफ आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत कथित आपराधिक साजिश और छत्तीसगढ़ राज्य के चावल मिल मालिकों से अनुचित वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए जबरन वसूली के आरोप में दर्ज एक पीसी के आधार पर जांच शुरू की थी।
प्रोत्साहन राशि में हुई कमीशनखोरी
ईडी की जांच में पता चला है कि खरीफ वर्ष 2021-2022 के दौरान, राज्य सरकार ने चावल मिलिंग के लिए निर्धारित प्रोत्साहन राशि को 40 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 120 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। इसके बाद, मार्कफेड के अधिकारियों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के जिलों के DMO ने छत्तीसगढ़ राज्य चावल मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ मिलकर चावल मिलर्स से पैसे वसूले। चावल मिलर्स पर जबरन वसूली की रकम देने का दबाव बनाने के लिए आरोपी व्यक्तियों ने बिना किसी औचित्य के चावल मिलरों के बिलों को लंबित रखा। पूरे छत्तीसगढ़ के चावल मिलरों को राज्य चावल मिलर संघ द्वारा उनके प्रोत्साहन बिलों के भुगतान के लिए 20 रुपये प्रति क्विंटल चावल की दर से नकद देने के लिए मजबूर किया गया। इसके परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ के चावल मिलरों से भारी मात्रा में नकदी वसूली हुई जिसका इस्तेमाल आरोपी व्यक्तियों ने अपने निजी लाभ के लिए किया।
रौशन चंद्राकर की 19 करोड़ की संपत्ति कुर्क
जांच के दौरान, अक्टूबर 2023 और मई-जून 2024 के महीने में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में कई दौर की तलाशी ली गई, जिसके परिणामस्वरूप आरोपियों के खिलाफ़ अपराध साबित करने वाले सबूतों के साथ-साथ चावल मिल मालिकों से वसूली गई अपराध की राशि भी जब्त की गई। मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में उनकी भूमिका के कारण आरोपी मनोज सोनी, आईटीएस और रोशन चंद्राकर को ईडी ने गिरफ्तार किया था। अब तक रोशन चंद्राकर की 19 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया जा चुका है।