रायपुर। छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले से जुड़े मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया है। इस मामले में कोर्ट ने एक साथ कई क्रिमिनल रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के कार्य में कोई दुर्भावना नहीं देखी जा सकती।

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि जब छत्तीसगढ़ राज्य ने 11 जुलाई 2023 को भेजे गए पत्र का कोई जवाब नहीं दिया, तब ईडी ने 28 जुलाई 2023 को उत्तर प्रदेश राज्य को उन गतिविधियों के बारे में जानकारी दी, जो वहां हो रही थीं।

कोर्ट ने यह भी कहा कि ईडी द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य को भेजे गए पत्र का कोई जवाब न मिलने के बावजूद 28 जुलाई 2023 को उत्तर प्रदेश राज्य को सूचित करना किसी भी तरह से गलत नहीं था। इसलिए ईडी के इस कार्य को दुर्भावनापूर्ण नहीं माना जा सकता।

साल 2020 में इनकम टैक्स विभाग ने अनिल टुटेजा के स्वामित्व वाले परिसरों पर तलाशी अभियान चलाया था, जिसके बाद कई व्यक्तियों के बयान दर्ज किए गए। इसके आधार पर इनकम टैक्स विभाग ने नई दिल्ली स्थित तीस हजारी कोर्ट में इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 276(सी), 277, 278 और 278ई के तहत और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-B, 191, 199, 200 और 204 के तहत एक मामला दर्ज किया। इस इनकम टैक्स शिकायत के आधार पर ईडी ने एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य में शराब घोटाले की बात कही गई थी।

इस बीच, मजिस्ट्रेट ने क्षेत्राधिकार की कमी के कारण शिकायत को लौटा दिया। विभाग ने इस फैसले के खिलाफ अपील की और कुछ आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न याचिकाएं दायर कीं। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के खिलाफ किसी भी प्रकार की जबरदस्ती की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।

इधर, ईडी ने 2002 के धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को एक पत्र लिखा और इसमें कुछ सूचनाएं साझा कीं, जिसे बाद में पुलिस ने संज्ञान में लिया। इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इसी के बाद, याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट ने कहा कि जब मुकदमा चलेगा, तब जांच के दौरान दर्ज किए गए बयान स्वीकार्य नहीं होंगे। हालांकि, जांच एजेंसी को यदि यह संदेह होता है कि बयान देने वाले व्यक्ति किसी अपराध का खुलासा कर रहे हैं, तो उस सूचना का उपयोग जांच शुरू करने या पहले से चल रही जांच को आगे बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे बयान मुकदमे के दौरान इस्तेमाल नहीं किए जा सकते और इन्हें स्वीकारोक्ति या बयान के रूप में नहीं गिना जा सकता।

कोर्ट ने यह भी माना कि जब ईडी ने उत्तर प्रदेश राज्य को सूचित किया और इस सूचना के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई, तो यह सूचना पीएमएलए की धारा 66(2) के तहत दी गई थी, जिसे राज्य द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता था। इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि भले ही अपराध छत्तीसगढ़ राज्य में हुआ हो, जब ईडी ने पाया कि नोएडा (उत्तर प्रदेश) में डुप्लीकेट होलोग्राम बनाए जा रहे थे, तो यह उचित था कि उत्तर प्रदेश राज्य को इस बारे में सूचित किया गया।

इस तरह इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दीं और आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया।

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