0 केंद्रीय जेल में महिला आयोग को दिए गए बयान से हुआ खुलासा

0 मजिस्ट्रियल जांच की निष्पक्षता पर जताया संदेह

दुर्ग। कवर्धा मामले में हो रही राजनीति के बीच राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने महिला डॉक्टर और तहसीलदार की उपस्थिति में दुर्ग केंद्रीय जेल पहुंच कर आरोपी बनाई गई 33 महिला कैदियों का बयान लिया है। इस दौरान पुलिस बर्बरता के ऐसे खुलासे हुए जिसे सुनकर किसी का भी दिल कांप जाए

जेल में लोहारीडीह में हुए अग्निकांड के बाद गिरफ्तार की गई महिलाओं का बयान लेकर लौटीं किरणमयी नायक ने दुर्ग में पत्रकारों से चर्चा में बताया कि उन्होंने डीजी जेल हिमांशु गुप्ता को बाकायदा आधिकारिक सूचना भेजी थी, अपने सचिव के माध्यम से और उनको भी डीजी जेल ने फोन पर इंस्ट्रक्शन दिया था, वह अपनी ड्यूटी से बंधे हुए थे, मगर उनका कहना था कि मुझे स्पष्ट इंस्ट्रक्शंस नहीं है। मैंने पत्र में लिखा था कि मैं एक अधिवक्ता, एक डॉक्टर और एक एक्सपर्ट के साथ अंदर जाऊंगी क्योंकि महिलाओं की चोटों का उल्लेख आया था। सोशल मीडिया में वायरल था और मैं यदि गवर्नमेंट डॉक्टर के साथ जाती हूँ और कल को गवर्नमेंट डॉक्टर फेवर में बयान नहीं देते हैं या पलट जाते हैं या मेरे की गई जांच का विरोध कर देते हैं तो मेरे पास कोई प्रूफ नहीं होता इसलिए मैं अपनी तैयारी से आई थी।

सभी महिला आरोपियों को आई हैं चोटें

राज्य आयोग अध्यक्ष किरणमयी ने बताया कि दुर्ग जेल के भीतर जाने के लिए प्रबंधन ने पहले तो मना किया और बाद में फिर मुझे जाने दिया और जब देखा कि काम काफी है तो उन्होंने अधिवक्ता को अंदर आने की परमिशन दी। हम दोनों ने बैठ कर वहां पर सब के बयान लिए, हमारे साथ तहसीलदार क्षमा यदु और डॉक्टर भी मौजूद रहीं।

महिला डॉक्टर और तहसीलदार हम सब एक बंद कमरे में बैठे थे, जहां एक-एक करके हमने सभी महिला बंदियों को बुलाया और उनकी जांच भी की और उनके बताए गए बयानों को लिखा है और इन सब बयानों के आधार पर यह बात तो साबित होती है कि कोई भी महिला बंदी ऐसी नहीं है जिसके शरीर पर चोट के निशान न हों। किसी के शरीर में कम तो किसी को बहुत ज्यादा चोटें आई हैं।

चोटिल महिलाओं के एक्स-रे कराने दिया निर्देश

किरणमयी नायक ने बताया कि मौके पर जेल के अंदर जो डॉक्टर आए थे, उनको बाद में इंस्ट्रक्शन दिया गया कि जिनके घुटने पर और बाकी जगह पर स्वेलिंग हैं, उनका आप एक्सरे कराएं। बयान में यह बात सामने आई कि जेल में उनके साथ कोई दुर्व्यवहार, मारपीट नहीं हुई है और उनका इलाज हो रहा है, इसलिए कई लोगों के निशान मिटने की कगार पर भी हैंं। अब बाकी वे डिटेल रिपोर्ट ऑनरेबल गवर्नर को और चीफ जस्टिस भेजेंगे। क्योंकि इनके कुछ टेक्निकल लीगल इश्यू हैं और इसलिए उन सारी चीजों को वे मीडिया के समक्ष ओपन नहीं कर पाएंगी।

’जबरदस्त हुई है पुलिस की बर्बरता’

किरणमयी ने बताया कि जो बेसिक जानकारी मीडिया को देना जरूरी समझती हूं, वह यह है कि पुलिस बर्बरता तो जबरदस्त हुई है, सबके बयानों से यह बात आई है और रात के 12 बजे के लगभग सबके घर का दरवाजा तोड़कर पुलिस अंदर घुसी है और खींच–खींच कर घसीट कर निकाला है, मारा है महिलाओं को और उसके बाद रेंगाखार थाने में भी उनको, किसी को डंडे से, किसी को बेल्ट से, किसी को पट्टे से मारा है और उसके निशान भरपूर अभी भी भरे हुए हैं। 16 तारीख की घटना है और आज 21 तारीख लगभग छह दिन होने जा रहे हैं।

बेटे के अंतिम संस्कार में मां को किस प्रक्रिया के तहत निकाल कर ले गए

किरणमयी नायक ने कहा कि ताज्जुब की बात है जो एक महिला का वीडियो वायरल हुआ था, जिसका गांव में मृतक की मां ने अपना बयान दिया था, वो लेडी आज भी जेल में है। उसने बताया कि जब बेटे की मृत्यु हो गई थी तो उसे जेल से ले गए थे अंतिम संस्कार के लिए और उसके बाद फिर उसको उसी दिन जेल पर ले आए। ये किस प्रोसीजर के तहत बाहर ले गए, यह थोड़ा सा मुझे भी समझना पड़ेगा, क्योंकि बेल तो हुई नहीं थी, फिर उसको किस बिनाह पर, कैसे ले गए यह एक आब्जेक्शनेबल चीज हो सकती है।

जिन राज्यों में भाजपा की सरकार वहां राष्ट्रीय महिला आयोग की दखलंदाजी नहीं

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान ’डिब्बे में खराबी नहीं है, इंजन बदलना पड़ेगा’ और इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग को शामिल किए जाने को लेकर किए गए सवाल पर किरणमयी नायक ने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग में अध्यक्ष का पद शायद खाली है, रेखा शर्माजी का कार्यकाल खत्म हो गया है, नए अध्यक्ष की नियुक्ति की जानकारी नहीं है मुझे। खैर सूचना तो मैं उन्हें भेजूंगी और कायदे से उनको एक्शन भी लेना चाहिए परंतु अभी तक का जो मेरा अनुभव है चार साल का, जिन जिन राज्यों में केंद्र की सरकार की पार्टी (भाजपा) होती है, उन राज्यों में राष्ट्रीय महिला आयोग की कभी भी दखलंदाजी नहीं होती है, जहां पर विपक्ष की सरकार होती है, वहां राष्ट्रीय महिला आयोग सक्रिय रूप से आती जाती है और बाकी राज्यों में उनसे कहीं पर भी पहल धमक नहीं दिखाई देती है।

कम से कम फोटोग्राफी तो करने देना था जिसे मजिस्ट्रेट को दिखाते….

महिला आयोग अध्यक्ष किरणमयी नायक ने बताया कि जेल में सभी 33 महिलाओं का नाम, उनके पति का नाम सभी कुछ हमने नोट किया है। और दो जोड़े ऐसे भी हैं कि देवरानी जेठानी अंदर हैं, एक में सास बहू अंदर हैं, एक तो मृतक की मां है। इस तरीके से जो इंपॉर्टेंट है, उनको हमने नोट कर रखे हैं। पुलिस का जो इन्वेस्टिगेशन है और बाकी चीजें हैं अब यह तो न्यायालय के विचार का विषय है और चूंकि अब इसमें सरकार ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं तो बेहतर तो यह होगा कि जो भी जांच करें वो महिला डॉक्टर या सबकी उपस्थिति में हो, उनकी चोटों की भी पुष्टि करने के लिए फोटोग्राफ लेना चाहिए। मेरा ऐसा मानना है जब तक आप फोटोग्राफ रिकार्ड नहीं करेंगे, हालांकि वो हमको भी देखने में शर्म आ रही थी, मतलब सबने अपने पूरे कपड़े हमें हटा–हटा कर के दिखाया और हमारे लिए भी काफी तकलीफदेह चीजें थी, तो इनको कैसे रखा जाएगा इसीलिए लेडी डॉक्टर की उपस्थिति अनिवार्य थी और इस को गोपनीय तरीके से आनरेबल मजिस्ट्रेट या चीफ जस्टिस को दिखाया जा सकता है।

जेल में हमने जो नजारा देखा वह दिल दहलाने के लिए काफी है…

आयोग अध्यक्षा ने कहा कि आज यदि हमें मौका मिला होता तो हम जरूर ऐसी चीजों को रिकॉर्ड करते पर उन्होंने बंदिश लगाई तो हमने वो फोटोग्राफ नहीं लिए हैं परंतु हमने जो देखा है वह दिल दहलाने के लिए काफी है। हमने सिग्नेचर भी ले लिए थे परंतु उन्होंने रिक्वेस्ट किया, फिर हमने सारे सिग्नेचर रिमूव किए हैं।

’हाईकोर्ट के जस्टिस यदि जांच करेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा…’

कलेक्टर और एसपी को हटाने की कार्रवाई को लेकर किए गए सवाल पर किरणमयी ने कहा कि मुझे ऐसा नहीं लगता है कि मजिस्ट्रियल जांच जो होगी राज्य शासन ने यदि करने का आदेश दिया है तो वो राज्य शासन के खिलाफ नहीं जाएंगे पहली चीज। दूसरी चीज इसमें इंडिपेंडेंटली हाईकोर्ट के जस्टिस यदि जांच करेंगे तो मुझे लगता है कि ज्यादा बेहतर होगा, क्योंकि मजिस्ट्रियल जांच एक एडीएम रैंक का अधिकारी ही करेगा और वो इन बारीकियों को करेगा या नहीं करेगा मैं नहीं जानती और जिस तरीके से मुझे ऐसा लगता है कि जब मैंने कल से दिया है तो आज यहां पर होम मिनिस्टर साहब आए हैं, उन्होंने क्या देखा क्या किया वह मुझे नहीं मालूम परन्तु मैंने अपना काम जो मुझे बारीकी से करना था और जो मुझे अपने वकालत के अनुभव से जो मालूम है, चोटों के निशान कि यदि आप पंद्रह दिन के बाद डॉक्टर से जांच कराएंगे तो उसमें आपको कुछ भी नहीं मिलेगा, क्योंकि मेडिसिन भी आप दे रहे हैं, इलाज कर रहे हैं।

तीन चार लोगों की तो आंख में भी चोट आई है, आंख में खून आ रहा था उनके। वो सब दवाओं से मिट रहे हैं तो यदि लींगर ऑन कर देते हैं और लींगर ऑन करने के बाद आप उनका मेडिकल एग्जामिनेशन कराएंगे तो मुझे नहीं लगता है कि किसी के भी कोई भी सबूत मिलेंगे।

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