गिरिडीह। झारखण्ड राज्य में एक खूंखार नक्सली के शासन के समक्ष समर्पण का नजारा था। इस 10 लाख के इनामी नक्सली को बाकायदा सम्मानित किया गया और उस पर घोषित इनाम की राशि उसे ही भेंट में दे दी गई।
जी हां, भाकपा माओवादी नक्सली कमांडर रामदयाल महतो उर्फ बच्चन दा ने शनिवार को गिरिडीह में डीआईजी सुनील भास्कर सहित अन्य आला अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। उसके सिर पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था। राज्य के गिरिडीह, धनबाद तथा अन्य जिलों में उसके खिलाफ हत्या, पुलिस पर हमला, सरकारी भवनों को विस्फोट से उड़ाने, लेवी वसूली और नक्सली वारदात के करीब 75 मामले दर्ज हैं।
जंगलों में उसकी अघोषित हुकूमत रही…
रामदयाल महतो नक्सली संगठन में जोनल कमेटी का मेंबर रहा है। गिरिडीह की पारसनाथ पहाड़ी से लेकर धनबाद के टुंडी तक के जंगलों में उसकी अघोषित हुकूमत चलती रही है। पीरटांड़, निमियाघाट, मधुबन, डुमरी, टुंडी थाना क्षेत्रों में उसने पिछले दो-ढाई दशकों में कई घटनाओं को अंजाम दिया है। पिछले दिनों 25 लाख के इनामी नक्सली कृष्णा हांसदा की गिरफ्तारी के बाद इस पूरे इलाके में माओवादियों के ऑपरेशन की अगुवाई वही कर रहा था।
बेटे के जरिये समर्पण के लिए राजी किया
रामदयाल महतो मूल रूप से गिरिडीह जिले के पीरटांड़ थाना क्षेत्र के पिपराडीह गांव का रहने वाला है। उसकी उम्र 70 वर्ष हो चुकी है। बताया जाता है कि पुलिस अधिकारियों के कहने पर उसके बेटे ने उसे सरेंडर के लिए राजी कराया।
ये है आत्मसमर्पण की नीति
डीआईजी सुनील भास्कर ने झारखंड सरकार की आत्मसर्मपण नीति ‘नई दिशा एक नई पहल’ के अनुसार, उसे 10 लाख रुपये का चेक सौंपा। सरकार की इस नीति के तहत इनामी नक्सलियों के सरेंडर करने पर उनके पुनर्वास और मुख्यधारा में शामिल होकर जीवन व्यतीत करने के लिए घोषित इनाम की राशि उन्हें ही दी जाती है।
रामदयाल महतो के सरेंडर के मौके पर गिरिडीह एसपी डॉ. विमल कुमार, 154वीं सीआरपीएफ बटालियन के सेकंड इन कमांडर दलजीत सिंह भाटी, एसएसबी के कमांडेंट संजीव कुमार समेत अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।
इस महीने सरेंडर करने वाला तीसरा इनामी तस्कर
सितंबर महीने में झारखंड पुलिस के समक्ष यह तीसरे इनामी नक्सली का सरेंडर है। इसके पहले 9 सितंबर को दो दर्जन से भी ज्यादा नक्सली वारदातों में वांटेड मुनेश्वर गंझू उर्फ विक्रम और 2 सितंबर को प्रतिबंधित नक्सली संगठन टीएसपीसी (तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी) के एरिया कमांडर राहुल गंझू उर्फ खलील ने रांची पुलिस के सामने सरेंडर किया था। मुनेश्वर गंझू के खिलाफ रांची, हजारीबाग और चतरा जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में 26 मामले दर्ज हैं।
इसी तरह राहुल गंझू उर्फ खलील के उसपर 21 मामले दर्ज हैं। उसका भी इसी तरह समर्पण करने पर सम्मान किया गया।
सवाल यह उठता है कि जो नक्सली अपने कार्यकाल के दौरान बुरी तरह मार्केट मचाते है और उनका आतंक होता है। ऐसे लोगों का पुनर्वास नीति के तहत समर्पण तो अच्छी बात है, मगर इनके धूमधाम से सम्मान करने की आखिर जरुरत ही क्या है। यह सोचने वाली बात है कि इन लोगों ने जिन जवानों और आम लोगों की हत्याएं की हैं उनके मन में ऐसे सम्मान के दौरान क्या भाव आते होंगे। 15 लाख के इनामी नवीन यादव ने भी सरेंडर किया था । उस पर 48 जवानों की हत्या का आरोप है।