0 राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड से भौतिक सत्यापन कराने का दिया

रायपुर। छत्तीसगढ़ के शासकीय विभागों में लगभग डेढ़ सौ लोगों पर विकलांगता के फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे नौकरी हासिल करने का आरोप दिव्यांग सेवा संघ ने लगाया है। इस मामले की जांच और कार्रवाई के लिए यह संगठन सालों से प्रयास कर रहा है। अब जाकर इनकी शिकायत पर सरकार ने गंभीरता दिखाई है। प्रारंभिक स्तर पर कृषि विभाग में कार्यरत अफसरों की जांच शुरू की गई है।

CM से मुलाकात के बाद कार्रवाई हुई शुरू

दरअसल दिव्यांग सेवा संघ काफी समय से छत्तीसगढ़ के सरकारी विभागों में फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी कर रहे अधिकारियों-कर्मचारियों का पता लगाकर उनके खिलाफ जांच की मांग कर रहा है, मगर जिलों और राज्य स्तर के जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई। इस बीच फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र के सहारे IAS की नौकरी हासिल करने वाली पूजा खेड़कर का मामला देशभर में सुर्खियां बना। इसे देखते हुए दिव्यांग सेवा संघ ने प्रदेश में नए सिरे से मोर्चा खोल दिया।

नई रणनीति के तहत दिव्यांग सेवा संघ ने 28 अगस्त को कलेक्टोरेट से लेकर सीएम हाऊस तक पैदल मार्च करने की घोषणा कर दी। इसे देखते हुए संघ के प्रमुख पदाधिकारियों की सीएम विष्णुदेव साय से मुलाकात कराई गई। सीएम ने इनकी बातों को सुना और संघ द्वारा दिए गए ज्ञापन पर पहल करने का आश्वासन दिया। सीएम के हस्तक्षेप के बाद पैदल मार्च स्थगित कर दिया गया। इसके साथ ही फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के सहारे नौकरी हासिल करने की शिकायत पर सरकार ने जांच करने का आदेश दिया है।

इसी कड़ी में समाज कल्याण विभाग के सचिव भुवनेश यादव ने सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखकर दिव्यांग सेवा संघ की मांगों का जिक्र किया और कथित तौर पर फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी कर रहे कर्मियों की जांच के लिए कहा है।

राज्य मेडिकल बोर्ड से जांच कराने का दिया आदेश

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी आदेश के तहत कबीरधाम जिले के कलेक्टर ने कृषि विभाग के उप संचालक को पत्र लिखकर विभाग में दिव्यांग कोटे से कृषि विस्तार अधिकारी पद के लिए चयनित 10 अधिकारियों का राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड से भौतिक सत्यापन कराने का आदेश दिया है। निर्देश है कि बोर्ड से सत्यापन के बाद ही उनकी पदस्थापना की जाए। दिव्यांग सेवा संघ की शिकायत में इन सभी के नाम उल्लेखित हैं।

कलेक्टर के आदेश के बाद उप संचालक, कृषि ने सभी दस कृषि विस्तार अधिकारियों को पत्र जारी कर अपनी विकलांगता का राज्य मेडिकल बोर्ड से प्रमाण पत्र लाने का निर्देश दिया है। इसके लिए उन्हें संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक, डॉ भीमराव आंबेडकर स्मृति चिकित्सालय के समक्ष उपस्थित होकर सप्ताह भर के भीतर दिव्यांगता प्रमाण पत्र लाने को कहा गया है। सबकुछ सही पाए जाने के बाद ही इन्हें जॉइनिंग दी जाएगी।

फर्जीवाड़ा करने वालों की फेहरिश्त है लंबी

इसी तरह प्रदेश भर में अलग-अलग पदों के लिए दिव्यांग कोटे से चयनित अभ्यर्थियों का भौतिक सत्यापन कराने के लिए सभी जिलों को निर्देश जारी किए गए हैं। बता दें कि दिव्यांग कोटे से चयनित अभ्यार्थियों को अपनी दिव्यांगता की जांच राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड से कराना अनिवार्य किया गया है। दिव्यांग संघ ने 147 अधिकारी-कर्मचारियों की सूची सरकार को दी है। जिनके ऊपर फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट लेकर नौकरी हासिल करने का आरोप है। इन शिकायतों का परीक्षण किया जा रहा है। सीएम विष्णुदेव साय ने महीनेभर के भीतर इन शिकायतों की जांच कराने का आदेश दिया था।

गिरोह का सरगना हो चुका है निलंबित

कबीरधाम की तरह ही मुंगेली में 22 ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों को मेडिकल बोर्ड के समक्ष अपनी दिव्यांगता का परीक्षण कराने के लिए आदेश जारी किये जाने की जानकारी मिली है। इन्हीं में शामिल एक कृषि विस्तार अधिकारी गुलाब सिंह राजपूत को निलंबित कर दिया गया है। हालांकि उसके निलंबन आदेश में उल्लेख है कि वह सरकारी नौकरी करने के साथ ही बिलासपुर एवं रायपुर में कोचिंग संस्थाओं का संचालन करता है। यह भी जानकारी सामने आयी है कि गुलाब सिंह राजपूत ने दो बार नोटिस देने के बाद भी अपनी दिव्यांगता का भौतिक सत्यापन नहीं कराया है।

दिव्यांग सेवा संघ ने आरोप लगाया है कि गुलाब सिंह राजपूत ही फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह का सरगना है। उसके अलावा मेडिकल बोर्ड के डॉक्टर भी इस गिरोह के सदस्य हैं, जिन्होंने सक्षम व्यक्तियों का भी दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाकर दिया है। आने वाले समय में यह गिरोह भी सरकार के निशाने पर होगा।

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