कोलकाता। कोलकाता के लेक थाना इलाके में बंदूक की नोंक पर आईएएस अफसर की पत्नी से रेप के आरोप को लेकर अब एक बार फिर पश्चिम बंगाल पुलिस सवालों के घेरे में है। कोलकाता हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच में पारदर्शिता को लेकर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए फटकार भी लगाई है। कोर्ट ने इस मामले की जांच डिप्टी कमिश्नर लेवर के अधिकारी को सौंपते हुए आरोपी की जमानत याचिका रद्द कर दी है।
इन अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश
पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कोलकाता हाई कोर्ट ने ऑफिसर इंचार्ज के अलावा पांच अधिकारियों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इस मामले की जांच में लापरवाही और प्रक्रियात्मक त्रुटियों के लिए तीन महिला पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। यह जांच कोलकाता पुलिस कमिश्नर द्वारा की जाएगी। जिन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ यह जांच होगी, वे हैं- लेक थाना की एएसआई सुजाता बर्मन, तिलजला थाना की एसआई कल्पना राय, और करया थाना की एसआई अर्पिता भट्टाचार्य।
वर्तमान जांच अधिकारी को तीन दिनों के भीतर सभी दस्तावेज उन्हें सौंपने होंगे। वहीं आरोपित को अलीपुर कोर्ट से मिली जमानत को रद्द कर दिया गया है।
पुलिस पर मामूली केस दर्ज करने का आरोप
इस मामले में पुलिस पर मामूली केस दर्ज करने का आरोप लगा है। कोर्ट ने कहा कि शुरू में FIR कम धारा के तहत दर्ज होने के कारण मामला कमजोर हो गया था। कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि जब पीड़िता ने कहा कि उन्हें थाने में धमकी दी गई तो सीसीटीवी फुटेज की जांच क्यों नहीं हुई और घटना के तुरंत बाद शिकायतकर्ता का मेडिकल क्यों नहीं कराया गया?
पीड़िता ने 2 बार दुष्कर्म का लगाया है आरोप
पीड़िता ने आरोप लगाया कि वह सात घंटे के अंदर दो बार रेप का शिकार हुईं। शिकायतकर्ता के मुताबिक उसके एक परिचित ने 14 जुलाई की रात 11.30 बजे और फिर अगले दिन सुबह 6.30 बजे उनके घर में घुसकर सिर पर बंदूकर रखकर रेप किया और पुलिस ने इस मामले में कोई कर्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि वह 15 जुलाई की शाम 4.15 बजे लेक थाना पहुंची, लेकिन पुलिस ने शिकायत नहीं लिखी और काफी देर तक रोककर रखा। उन्होंने पुलिस पर आरोप पत्र में हेराफेरी का भी आरोप लगाया।
‘पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज लेने से किया इंकार’
पीड़ता के आरोप के मुताबिक आरोपी की पत्नी और बेटे ने कथित तौर पर उस पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। पीड़िता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने आरोपी के घर में घुसने और बाहर निकलने की सीसीटीवी फुटेज लेने से इनकार कर दिया। पीड़िता ने हाई कोर्ट को बताया कि उन्होंने खुद एक सरकारी अस्पताल में अपनी मेडिकल जांच कराई।
कोलकाता पुलिस ने दिया ये बयान
कोलकाता पुलिस की ओर से पेश हुए वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि पीड़िता ने वॉट्सएप मैसेज के जरिए रिपोर्ट की थी। उन्होंने कोर्ट को बताया, शिकायतकर्ता ने बाद में शाम को करीब 6.30 बजे लिखित शिकायत दर्ज कराई। उसके आधार पर पुलिस ने FIR दर्ज की। 15 जुलाई को लेक थाने में कोई महिला जांच अधिकारी मौजूद नहीं होने पर करिया थाने से एक महिला अधिकारी को बुलाया गया. वह 16 जुलाई को लेक थाने आई और पीड़िता के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग की। उस समय पीड़िता ने मुख्य आरोपी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप नहीं लगाया।”
पुलिस की ओर से पेश वकील ने कहा, “महिला ने खुद सरकारी अस्पताल में जाकर मेडिकल जांच कराई और उन्होंने पुलिस को जो रिपोर्ट सौंपी उसमें शरीर के हिस्सों में चोट लगने का जिक्र था।” पुलिस ने दावा किया कि मेडिकल रिपोर्ट में कहीं भी रेप के आरोपों के सबूत नहीं मिले।
इस प्रकरण पर पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, अलीपुर कोर्ट ने उसे जमानत दे दी थी। इसके बाद पीड़िता ने कोलकाता पुलिस पर जांच में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।