बिलासपुर। न्यायालय में पीड़ितों को न्याय मिलता है और दोषी साबित होने वाले अभियुक्तों को सजा दी जाती है। मगर यदि न्याय के मंदिर में काम करने वाले ही अगर भ्रष्ट हो जाएं तो फिर क्या होगा। ऐसा ही वाकया बिलासपुर जिले के कोटा स्थित न्यायालय
जिले के कोटा न्यायालय में एक घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। यहां न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा लगाए गए अर्थदंड की रकम को कोर्ट के एक बाबू ने फर्जी दस्तावेज और सील का उपयोग करके गबन कर लिया। आरोप है कि इस कर्मचारी ने 1 लाख 88 हजार रुपए की रकम को हड़प लिया। उसके खिलाफ थाने में FIR दर्ज कर ली गई है।
प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट आशिष डहरिया ने 11 दिसंबर 2021 से 19 अप्रैल 2022 तक विभिन्न मामलों में कुल 1 लाख 22 हजार रुपए का अर्थदंड आरोपियों पर लगाया था। इसके बाद, न्यायिक मजिस्ट्रेट कल्पना भगत ने 15 मई 2022 से 21 अक्टूबर 2022 के बीच कुल 66 हजार रुपए का अर्थदंड तय किया था। इन दोनों न्यायिक आदेशों के तहत जुर्माने की कुल राशि 1 लाख 88 हजार रुपए हो गई, जिसे कोर्ट में जमा कराने की जिम्मेदारी प्रस्तुतकार विवेक सिंह क्षत्री की थी।
निलंबन के बाद दर्ज हुआ FIR
आरोप है कि विवेक सिंह ने यह राशि कोर्ट में जमा करने की बजाय फर्जी दस्तावेज और बैंक की सील का इस्तेमाल कर उसे जमा दिखा दिया। कुछ महीनों बाद, जब ऑडिट हुआ तो इस गबन का खुलासा हुआ। इसके बाद 5 सितंबर को विवेक सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया और पुलिस ने उसके खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया है।