कोरबा। खदान में हुए हादसे को लेकर SECL कुसमुंडा के महाप्रबंधक राजीव सिंह ने अपने पूर्व में दिए गए कार्यालय आदेश को अमान्य घोषित करते हुए वापस ले लिया है। महाप्रबंधक के इस आदेश में बताया गया था कि जिसमें कार्य के दौरान मोबाइल पर गेम घटना के दौरान राजेंद्र नागरकर मोबाइल पर गेम खेल रहे थे। इसका हवाला देते हुए जितेन्द्र नागरकर को ही अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। इस आदेश में यह ताकीद की गई थी कि कर्मचारी ड्यूटी के दौरान मोबाइल गेम न खेलें।

ट्रोल का शिकार हुए GM

कुसमुंडा GM का यह आदेश जैसे ही ख़बरों के जरिये सोशल मीडिया में वायरल हुआ, लोग जमकर इसकी आलोचना करने लगे। न केवल SECL के अधिकारियो व कर्मचारियों के मध्य इस शर्मशार करने वाले आदेश की चर्चा रही बल्कि प्रबंधन की इस प्रकार की सोच का जम कर विरोध भी होने लगा। SECL मुख्यालय के वरिष्ठ अफसरों ने भी कुसमुंडा प्रबंधन के आदेश बड़ी गंभीरता से लिया। मुख्यालय से ही कर्मचारियों/अधिकारियो में असंतोष फैलाने वाले और SECL की सोशल मीडिया धूमिल हो रही छबि वाले इस आदेश को वापस लेने निर्देशित किया गया था, इसके बाद ही कुसमुंडा प्रबंधन को अपनी गलती का एहसास हुआ।

इसके बाद SECL कुसमंडा के महाप्रबंधक राजीव सिंह ने अपने उस आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें कार्य के दौरान मोबाइल पर गेम नहीं खेलने संबंधी निर्देश जारी कर इसका हवाला देते हुए जितेन्द्र नागरकर को ही अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। महाप्रबंधक ने 31 जुलाई, 2024 को एक दूसरा आदेश निकाला, जिसमें यह लिखा गया है कि जांच के दौरान फ्रंट लाइन सुपरवाइजर के बयान के आधार पर इस कार्यालय से जारी कार्यालय आदेश संख्या SECL/GM/KA/24-25/84 दिनांक 29.07.2024 को वापस लिया जाता है तथा इसे अमान्य माना जाएगा।

बता दें कि इसके पहले 29 जुलाई को एक आदेश में महाप्रबंधक ने सहायक प्रबंधक (खनन) स्व.जितेन्द्र नागरकर को ही मौत के लिए जिम्मेदार बताया था। 27 जुलाई को खदान में तेज बारिश के बीच ह्यूम पाइप्स जाम हो जाने के कारण ओव्हर बर्डन में पानी के ओवर फ्लो होने के कारण लैंडस्लाइड की घटना हुई थी। इसमें जितेन्द्र नागरकर बह गए और उनकी मौत हो गई। इस घटना की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए मोबाइल गेम खेलने के कारण समय रहते सावधान नहीं होने से हादसा व मौत होना बताया गया।

इस आदेश को लेकर कर्मचारियों के सोशल मीडिया में महाप्रबंधक की काफी आलोचना हुई। इसके बाद 31 जुलाई को महाप्रबंधक ने अपने ही आदेश को अमान्य करते हुए इसे वापस ले लिया। बताया गया है कि एसईसीएल सीएमडी डा. प्रेमसागर मिश्रा ने भी जीएम कुसमुंडा के आदेश पर नाराजगी जाहिर की।

सवाल यह उठाया जा रहा है कि अगर कोई बीच मंझधार में फंसा हो और उसके प्राण संकट में हों तो क्या वह उस समय मोबाइल पर गेम खेलने की सोच सकता है। फ्रंटलाइन सुपरवाइजर के इस तर्क से आखिर जीएम कैसे सहमत हो गए, यह भी सन्देहास्पद है जबकि घटना के वक्त स्व.नागरकर के साथ 4-5 अन्य अधिकारी भी फंसे थे जो किसी तरह बच निकले, क्या उनसे इस बात की पुष्टि की गई..? बहरहाल इस मामले में GM कुसमुंडा राजीव सिंह की जमकर किरकिरी हुई है।

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