0 बलरामपुर में मध्यान्ह भोजन में मनमानी के चलते 2 टीचर हुए सस्पेंड…
0 सीएम के गृह जिले में शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहाल
जशपुर। जशपुर जिले में एक छात्रावास के शराबी अधीक्षक की हरकतों के चलते छात्रों को आधी रात को हॉस्टल छोड़ना पड़ा। इस मामले में जब पालकों ने हॉस्टल पहुंचकर विरोध जताया तब उच्चाधिकारी मौके पर पहुंचे और मामले की जानकारी ली। छात्रों ने बताया कि वे दिनभर से भूखे थे, वहीं जब रात को अधीक्षक पहुंचा तब उसने कई छात्रों की पिटाई कर दी और हॉस्टल छोड़ने को कह दिया। इस मामले में कार्यवाही करते हुए जिला प्रशासन ने अधीक्षक को निलंबित कर दिया है। जशपुर जिला मुख्यमंत्री का गृह जिला है और यहां के छात्रावासों और स्कूलों की हालत कुछ अच्छी नहीं है। ।
फरसाबहार ब्लाक के डुमरिया गांव में प्री-मैट्रिक छात्रावास है। जहां अधीक्षक के पद पर पदस्थ रहे नरसिह मलार्ज पर छात्रों ने आरोप लगाया है कि वे अक्सर शराब के नशे में छात्रावास में मौजूद रहते हैं। अधीक्षक की मनमानियों के चलते उन्हे समय पर कभी भी भोजन और नाश्ता नही मिलता। इस बात की शिकायत करने पर उनके द्वारा बच्चोें को उल्टे पढ़ाई नही करने के बहाने बदसलूकी और मारपीट की जाती है। शनिवार की रात भी अधीक्षक ने शराब के नशे में छात्रों के साथ पढ़ाई नही करने की बात कहते हुए विवाद शुरू कर दिया। अधीक्षक ने छात्रों के साथ गाली-गलौच और मारपीट करते हुए छात्रावास से बाहर निकल जाने को कह दिया।
सुबह सिर्फ चाय पिलाया, दिन भर भूखे रखा
नशे की हालत में अधीक्षक के रवैये को देखते हुए कुछ छात्रों ने अपना सारा सामान लिया और रात को ही छात्रावास से बाहर निकल गये। दरअसल कुछ छात्र डुमरिया गांव के ही रहने वाले हैं, जिनके पालक घटना की जानकारी मिलते ही हॉस्टल पहुंच गए और मौके पर हंगामा शुरू हो गया। इसकी सूचना मिलने पर आदिवासी विकास विभाग के मंडल संयोजक लालदेव भगत मौके पर पहुंच गए। उन्होनें छात्रों और अभिभावकों से जानकारी लेकर मामले की जांच और कार्रवाई का आश्वासन दिया।
मौके पर छात्रों ने बताया कि छात्रावास में उन्हें सुबह से एक कप चाय के अलावा खाने पीने के लिए कुछ भी नहीं मिला। शाम को जब वे पोहा खा रहे थे, तभी अधीक्षक ने उन पर अच्छे से पढ़ाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए मारपीट की और रात को ही छात्रावास से बाहर चले जाने को कह दिया।
हाथियों से खतरा, फिर भी रात को…
इस घटना से नाराज स्थानीय अभिभावकों की छात्रावास अधीक्षक से बहस भी हुई। पालकों ने आरोप लगाया कि डुमरिया घोर हाथी प्रभावित क्षेत्र है। उनके वन परिक्षेत्र में 20 से अधिक हाथियों की मौजूदगी का अलर्ट वन विभाग ने जारी किया है। ऐसे में आधी रात को बच्चों को हास्टल से बाहर निकाले जाने के बाद अगर उनके साथ कुछ अनिष्ट होता तो इसका जिम्मेदार कौन होता। नाराज अभिभावकों ने इस पूरे मामले में दोषी छात्रावास अधीक्षक नरसिंह मलार्ज पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
अधीक्षक ने दी ये सफाई
वहीं इस पूरे मामले में छात्रावास अधीक्षक नरसिंह मलार्ज ने अपनी सफाई में कहा कि जिन बच्चों को उन्होनें छात्रावास से बाहर निकल जाने को कहा वो अच्छे से पढ़ाई नहीं करते हैं। उनका दावा है कि उन्होनें बच्चों को कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन बच्चे पढ़ाई में सुधार नहीं ला रहे थे। इसलिए उन्होनें बच्चों को बाहर निकाला, ताकि उनकी जगह अच्छे से पढ़ाई करने वाले बच्चों को छात्रावास में जगह दी जा सके। अधीक्षक नशे की हालत में नजर आ रहा था।
बाद में मौके पर पहुंचे मंडल संयोजक लालदेव भगत में मामले की जानकारी सहायक आयुक्त संजय सिंह को दी। संजय सिंह ने बताया कि शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मामले में छात्रावास अधीक्षक और पीड़ित छात्रों के बयान के आधार पर कार्रवाई की गई है। कलेक्टर ने इसे गंभीरता से लेते हुए छात्रावास अधीक्षक नरसिंह मलार्ज का तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
मिड डे मिल के चलते दो को किया सस्पेंड
उधर बलरामपुर (Balrampur) जिले के एक स्कूल में बच्चों को पौष्टिक मिड डे मील देने की बजाय हल्दी मिला पीला चावल खिलाने का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ। यह मामला वाड्रफनगर विकासखंड अंतर्गत बीजाकुरा गांव के प्राथमिक स्कूल पटेल पारा का है और जांच के बाद कलेक्टर ने दो शिक्षकों को निलंबित कर दिया है।
दरअसल बच्चों को पौष्टिक आहार की जगह पीला चावल खिलाए जाने के मामले का वीडियो वायरल होने पर कलेक्टर ने जांच के आदेश दिये थे। इस स्कूल में कुल 43 छात्र पढ़ रहे हैं, जिन्हें पौष्टिक आहार की जगह पर न तो सब्जी दी जा रही थी और न ही दाल, बल्कि उन्हें हल्दी वाला चावल खिलाया जा रहा था।
सूचना पर जिला प्रशासन ने एक्शन लिया और जांच के निर्देश दिए। जांच टीम की रिपोर्ट में संकुल समन्वयक और प्रधान पाठक, दोनों को अपने दायित्वों का अच्छे से निर्वहन नहीं करना पाया गया। विभाग द्वारा तैयार मीनू के अनुसार बच्चों को पौष्टिक मध्यान्ह भोजन नहीं देने और लापरवाही करने के चलते कलेक्टर ने तत्काल दोनों को सस्पेंड कर दिया। विभाग इस मामले में अभी और आगे भी जांच कर रहा है।