बंगलुरु। कर्नाटक के अनुसूचित जनजाति कल्याण में 187 करोड़ रुपये के अवैध धनराशि अंतरण घोटाले में अपना नाम सामने आने के बाद मंत्री बी नागेंद्र ने इस्तीफा दे दिया। यह घोटाला राज्य सरकार के एक अधिकारी की आत्महत्या के बाद सामने आया। इसे सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली एक वर्ष पुरानी कांग्रेस सरकार के लिए करारा झटका माना जा रहा है।
कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखरन पी ने 26 मई को आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में कहा था कि उन्होंने मंत्री बी नागेंद्र और छह अधिकारियों के निर्देश पर पांच मार्च से 23 मई के बीच कॉर्पोरेशन के 86.62 करोड़ रुपये एक कोऑपरेटिव बैंक समेत बेंगलुरु और हैदराबाद की कुछ प्राइवेट कंपनियों के खाते में ट्रांसफर किए थे।
187 करोड़ के अवैध अंतरण का खुलासा
इस नोट में निगम के बैंक खाते से 187 करोड़ रुपये के अवैध अंतरण का खुलासा किया गया था। 86.62 करोड़ रुपये की ये रकम 187 करोड़ रुपये की उस राशि का हिस्सा थी जिसे 31 मार्च को ख़त्म होने वाले वित्तीय वर्ष के अंत में राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कॉर्पोरेशंस और सरकारी निकायों के खातों में सामान्य रूप से ट्रांसफर किया जाता है। इसके बाद ये रकम कॉर्पोरेशन द्वारा विभिन्न गतिविधियों के लिए जारी कर दी जाती है। मगर 86.62 करोड़ रुपये कथित रूप से ‘जानी-मानी’ आईटी कंपनियों के विभिन्न खातों एवं हैदराबाद के एक सहकारी बैंक में डाले गये थे। साथ ही, इसमें यह भी बताया गया है कि उनके सहकर्मियों ने भी उन्हें ‘परेशान’ किया था।
गड़बड़ी के लिए अधिकारी को ठहराया जिम्मेदार
इस मामले से जुड़े एक सरकारी आदेश में ये कहा गया कि “पांच मार्च, 2024 से 23 मई, 2024 के बीच कुछ अज्ञात लोगों ने उक्त बैंक खाते से पैसे निकाले लेकिन लेखा अधीक्षक चंद्रशेखरन पी ने इसका संज्ञान नहीं लिया और इसलिए वे अज्ञात खातों में पैसे के ट्रांसफर किए जाने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार थे।”
SIT कर रही है मामले की जांच
हालांकि अधिकारी को 86.62 करोड़ रुपये की रकम दस्तावेज़ों के साथ हेराफेरी करके 14 अज्ञात खातों में ट्रांसफर किए जाने की जानकारी 22 मई को मिली लेकिन उन्होंने सरकार के संज्ञान में ये बात तब तक नहीं लाई जब तक कि 27 मई को इस बारे में रिपोर्ट नहीं मांगी गई।”
पुलिस के समक्ष कॉर्पोरेशन के चीफ़ मैनेजर की शिकायत के बाद राज्य सरकार ने सीआईडी की एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया है। चीफ़ मैनेजर ने पुलिस के समक्ष दायर की गई अपनी शिकायत में कॉर्पोरेशन के आधिकारिक खाते से 94.7 करोड़ रुपये गबन की रिपोर्ट दर्ज कराई है। शिकायत में कहा गया है कि बैंक ने उक्त ट्रांसफर के बारे में कभी भी कोई जानकारी नहीं दी। कॉर्पोरेशन ने ये भी पाया कि उसके अधिकारियों के दस्तखत फर्जी तरीके से किए गए।
बैंक प्रबंधन ने भी कराया अपने अधिकारीयों पर FIR
राज्य सरकार द्वारा जांच के आदेश दिए जाने के फौरन बाद बैंक ने अपने छह अधिकारियों के ख़िलाफ़ केंद्रीय जांच ब्यूरो में FIR दर्ज कराई है। FIR में कहा गया है कि पैसे का गबन उस वक़्त किया गया जब कॉर्पोरेशन ने अपना एकाउंट वसंतनगर ब्रांच से एमजी रोड ब्रांच में ट्रांसफर कराया।
तीन जून को सीबीआई की दी गई शिकायत में बैंक ने ब्रांच मैनेजर को नामजद किया है। ब्रांच मैनेजर पर ये आरोप है कि उन्होंने ईमेल आईडी और अन्य ब्योरों का सत्यापन किए बगैर एकाउंट ट्रांसफर किए जाने के आवेदन को मंज़ूर कर लिया।
जिन कंपनियों को पैसे ट्रांसफर किए गए हैं, उनमें से एक आईटी कंपनी ने बयान जारी कर कहा है कि जिस बैंक खाते का जिक्र किया जा रहा है, वो उनका नहीं है।
नागेंद्र बोले- मैंने स्वेच्छा से दिया इस्तीफा
विधानसभा में बेल्लारी ग्रामीण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक नागेन्द्र ने कहा, ‘मैं अपनी इच्छा से इस्तीफा दे रहा हूं… एसआईटी (विशेष जांच दल) मामले की जांच कर रही है और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। यदि जांच के दौरान मैं मंत्री पद पर रहा तो इससे समस्या हो सकती है। इसके मद्देनजर मैंने (इस्तीफा देने का) फैसला किया है।’ इससे पहले, नागेंद्र ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार से मुलाकात की थी।
नागेंद्र ने यह भी दावा किया कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने उनसे इस्तीफा नहीं मांगा, बल्कि (उन्होंने) इस्तीफा न देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘जांच से सच्चाई सामने आ जाएगी, उसके बाद मैं आऊंगा… निर्दोष साबित होने पर मुझे वापस मंत्रिमंडल में लेने का फैसला मुख्यमंत्री और हाईकमान करेंगे।’
उधर उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि नागेंद्र सीबीआई सहित किसी भी जांच के लिए तैयार हैं। आत्महत्या के कारण राज्य में राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है और भाजपा ने सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा था। कर्नाटक भाजपा प्रमुख बीवाई विजयेंद्र ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस नेता दलितों और आदिवासी समुदायों के लिए काम करने की आड़ में भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इससे पहले, पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने (आईपीसी धारा 306) के लिए तीन सरकारी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।