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अहमदाबाद। कांग्रेस ने सूरत लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशी निलेश कुंभानी को 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया है। कुंभानी का नामांकन पत्र विसंगतियों की वजह से रद्द कर दिया गया था और इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार को निर्विरोध जीत मिल चुकी है।

कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन रद्द होने के बाद ऐसे हालात पैदा हुए, जिसमें अन्य उम्मीदवारों ने भी अपने नाम वापस ले लिए, जिससे बीजेपी के मुकेश दलाल को निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया। इस तरह से चुनाव होने से पहले ही सूरत लोकसभा सीट बीजेपी के खाते में चली गई है।

गुजरात कांग्रेस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि पार्टी की अनुशासन समिति ने निलेश कुंभानी को निलंबित करने का फैसला किया है। इससे पहले समिति ने इस मसले पर काफी चर्चा की है।

‘घोर लापरवाही या बीजेपी से मिलीभगत की वजह से’

कांग्रेस ने बयान में कहा है कि अनुशासन समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची कि उनकी ओर से घोर लापरवाही या ‘बीजेपी से मिलीभगत की वजह से’ नामांकन रद्द कर दिया गया।

बालू पटेल की अध्यक्षता वाली अनुशासन समिति की ओर से कहा गया है, ‘आपको निष्पक्ष मौका देने के लिए, हमने आपको अपना मामला समझाने के लिए समय दिया, लेकिन पार्टी अनुशासन समिति के सामने आने के बजाय, आप संपर्क से बाहर चले गए हैं। अधिकारियों की ओर से आपका फॉर्म खारिज किए जाने के बाद बीजेपी ने आगे बढ़ते हुए अन्य आठ उम्मीदवारों का फॉर्म वापस करवा दिया। इससे सूरत के लोग अपने मताधिकार से वंचित रह गए।’

गुस्से में हैं सूरत के लोग और कार्यकर्त्ता

निलेश कुंभानी 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित कांग्रेस ने प्रेस नोट में कहा है, ‘सूरत के लोग और पार्टी कार्यकर्ता आपके काम की वजह से बहुत ही गुस्से में हैं और अपनी नाराजगी अलग-अलग तरह से जाहिर कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने फैसला किया है कि आपको 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित किया जाता है।’

प्रस्तावकों के हस्ताक्षर को लेकर उठा मामला

कुंभानी का नामांकन 21 अप्रैल को तब खारिज कर दिया गया था, जब डिस्ट्रिक्ट रिटर्निंग ऑफिसर को उनके तीन प्रस्तावकों ने हलफनामा देकर दावा किया कि दस्तावेज में जो हस्ताक्षर हैं, वे उनके नहीं हैं। नामांकन पत्रों पर हस्ताक्षरों में प्रथम दृष्टया विसंगति पाई गई। रिटर्निंग ऑफिसर सूरत से कांग्रेस के वैकल्पिक उम्मीदवार सुरेश पडसाला का नामांकन भी इसी आधार पर रद्द कर दिया गया था। अपने आदेश में रिटर्निंग ऑफिसर सौरभ पारधी ने कहा कि कुंभानी और पडसाला की ओर से दायर तीन नामांकन पत्रों पर हस्ताक्षरों में प्रथम दृष्टया विसंगति पाए जाने के बाद उन्हें रद्द कर दिया गया है, जो कि वास्तविक प्रतीत नहीं हुए।

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