0 अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने की ये अपील

जशपुर। आदिवासी बाहुल्य इलाके में अंधविश्वास के चलते 18 दिन की मासूम बच्ची को कई बार गर्म लोहे से दागा गया। दरअसल बच्ची के शरीर में किसी प्रकार के अज्ञात दाग-धब्बे दिखाई देने व बच्चे के अधिक रोने, डरने या चमकने जैसी घटना को दूर करने के लिए उसके शरीर को गर्म लोहे से दागने का मामला सामने आया है।

लोगों के कहने पर बैगा के पास ले गए परिजन

जशपुर जिले के पत्थलगांव विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत मुड़ापारा के करंगाबहला में 18 दिन की बच्ची के शरीर को गर्म लोहे से दागने का मामला सामने आया है। बच्ची के शरीर के नस में काला रंग दिखाई देने व पेट फूलने के कारण परिजन डॉक्टर से इलाज न कराकर कुप्रथा व अंधविश्वास के चलते बैगा के पास ले गए। बैगा ने झाड़फूंक का नाटक कर बच्चे के पेट में काफी जगह पर गर्म लोहे से दाग दिया, जिससे बच्चे के शरीर पर जलने के निशान साफ देखे जा सकते है।

बैगा के इस कृत्य के चलते बच्ची की तकलीफ और बढ़ गई। जिसके बाद उसे पत्थलगांव के निजी क्लिनिक में भर्ती कराया गया है। बच्चे का इलाज कर रहे शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बीएल भगत ने बताया कि अक्सर इस इलाके में अन्धविश्वास के चलते लोग अपने बच्चों को बैगा के पास लेकर चले जाते हैं। यह मामला सामने आने के बाद उन्होंने बच्चे का इलाज शुरू किया है, साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से इस मामले को प्रचारित भी किया, ताकि लोग जागरूक हो सकें।

अस्पताल में भर्ती बच्ची की तकलीफ बढ़ने पर उसके परिजनों को गलती का अहसास हुआ है, मगर समाज में फैला अन्धविश्वास कैसे दूर होगा, इसके लिए ठोस प्रयास करना जरुरी होगा।

बीमार को सलाख से दागना इलाज नहीं अंधविश्वास है- डॉ दिनेश मिश्र

इस मुद्दे पर अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र का कहना है कि ग्रामीण अंचल से इलाज के नाम पर बच्चों को गर्म सलाख और अगरबत्ती से दागना के मामले सामने आ रहे हैं, जबकि यह अंधविश्वास है ऐसे बैगाओं पर कार्यवाही होना चाहिए।

डॉ दिनेश मिश्र ने जशपुर के एक बैगा द्वारा बच्ची का पेट दागने की चर्चा करते हुए बताया कि इसके पहले भी कुछ दिनों से छत्तीसगढ, मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचल से बच्चों के बीमार होने पर गर्म सलाख से दागने के मामले सामने आए हैं जिनमें से कुछ बच्चों की दुखद मौत तक हो चुकी है इसके पहले छत्तीसगढ के महासमुंद और देवभोग से भी पीलिया की बीमारी के कारण नवजात शिशुओं को गर्म सलाख जिले के से दागने की कुछ घटनाऐं सामने आई थी जिनमें उन बच्चों की भी दुखद मृत्यु हो गई थी।

नवजात शिशुओं को दागने की घटनाएं अकसर सामने आती है .ग्रामीण शिशु के दूध न पीने, अत्यधिक रोने, बुखार, दस्त, पीलिया होने,जैसी समस्याओं के निदान के लिए दागे जाने के समाचार अक्सर मिलते हैं जिससे शिशु की तबियत और अधिक खराब हो जाती है.और कई बार समय पर उचित चिकित्सा सहायता उपलब्ध न होने पर उनकी मृत्यु भी हो जाती है.

‘डॉक्टर से कराएं बच्चो का इलाज’

डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कि कुछ नवजात शिशुओं में प्रारंभिक दिनों में समस्याएं आती है , सर्दी, खांसी ,बुखार, निमोनिया,रात में जागना,बार बार रोना, गैस,अपच,पेट दर्द,पीलिया, बुखार,उल्टी करना,पर इन सब के लिए उस मासूम शिशु का उचित जॉंच और इलाज किसी प्रशिक्षित चिकित्सक से करवाना चाहिए .बीमारियों के अलग अलग कारण होते हैं जिनका जाँच, परीक्षण से उपचार होता है . स्व उपचार ,झाड़ फूँक, सलाख , गर्म अगरबत्ती से दागने गण्डा, ताबीज पहिनने, नजर उतारने आदि से बीमार को बीमारी से निजात कैसे दिलायी जा सकती है,बल्कि बच्चा और बीमार हो सकता है.और उसकी हालत बिगड़ सकती है.ग्रामीणों को इस प्रकार किसी भी अंधविश्वास में नहीं पड़ना चाहिए बल्कि अपने आस पास के किसी योग्य व्यक्ति का परामर्श लेना चाहिए.

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