नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने योग गुरु बाबा रामदेव से अपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका में शुक्रवार को उन शिकायतकर्ताओं को भी पक्षकार बनाने को कहा है, जिन्होंने कोविड महामारी के दौरान एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ मामले दर्ज कराये थे।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की पटना और रायपुर इकाई ने 2021 में शिकायत दर्ज कराई थी कि रामदेव की टिप्पणियों से कोविड नियंत्रण व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका थी। न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति पी. बी. वराले की पीठ रामदेव की अपने खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उसने कहा कि रामदेव को मामले में राहत पाने के लिए शिकायतकर्ताओं को पक्षकार बनाने की जरूरत है।
गर्मी छुट्टी के बाद होगी अगली सुनवाई
पीठ ने रामदेव को शिकायतकर्ताओं को पक्षकार बनाने की छूट दी और मामले में आगे की सुनवाई शीर्ष अदालत की ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के बाद के लिए स्थगित कर दी। अदालत की ग्रीष्मकालीन छुट्टियां 20 मई से शुरू होंगी। बिहार सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्हें मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय चाहिए। न्यायालय ने कोविड महामारी के दौरान एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल के खिलाफ की गईं रामदेव की कथित टिप्पणियों को लेकर दर्ज विभिन्न प्राथमिकियों के संबंध में कार्यवाहियों पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका पर केंद्र, बिहार एवं छत्तीसगढ़ की सरकारों और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को पिछले साल नौ अक्टूबर को नोटिस जारी किया था।
क्या कहा था बाबा रामदेव ने..?
रामदेव की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा था कि उनके मुवक्किल ने 2021 में बयान दिया था कि वह एलोपैथिक दवाओं में भरोसा नहीं करते, जिस पर कुछ चिकित्सकों ने आपत्ति जताई और उनके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए।
दरअसल, रामदेव ने सार्वजनिक तौर पर कोविड-19 महामारी के कारण हो रही मौतों के पीछे एलोपैथ को कारण बताया था। रामदेव अपने वीडियो में यह कहते नजर आ रहे हैं कि रेमडेसिविर, फेविफ्लू व DCGI की मान्यता प्राप्त सभी दवाईयां असफल हैं। योग गुरु ने कहा, ‘लाखों लोगों की मौत एलोपैथी दवा खाने से हुई है। लोगों की मौत अस्पताल न जाने, ऑक्सीजन न मिलने की वजह से हुई उससे अधिक एलोपैथी की दवाइयां खाने से हुई हैं।’ वर्ष 2020 में रेमडेसिविर व फेविफ्लू को कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए CDSCO (Central Drug Standard Control Organisation) की ओर से मंजूरी दी गई थी।
रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अंतरिम राहत के तौर पर उनके खिलाफ आपराधिक शिकायतों संबंधी जांच पर रोक लगाए जाने का अनुरोध किया है। वैश्विक महामारी के दौरान एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल के खिलाफ रामदेव की टिप्पणी पर IMA ने बिहार और छत्तीसगढ़ में शिकायत दर्ज कराई थी।
सभी प्रकरणों को दिल्ली शिफ्ट करवाने की याचिका
छत्तीसगढ़ IMA के डॉ राकेश गुप्ता ने TRP न्यूज़ को बताया कि बाबा रामदेव के खिलाफ उन्होंने राजधानी रायपुर के सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज कराइ थी। इसी तरह की शिकायत IMA के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह ने भी पटना में दर्ज कराई थी। डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि उन्होंने सबूत के तौर पर बाबा रामदेव के बयान की CD भी पुलिस को सौंपी थी। इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू की और बाबा रामदेव से उनका वॉइस सैंपल भी मांगा था, मगर सैंपल भेजने की बजाय रामदेव ने रायपुर और पटना सहित अन्य स्थानों में दर्ज प्रकरणों को क्लब करते हुए दिल्ली में शिफ्ट कराने और आपराधिक जांच कार्रवाई रोकने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई है।
IMA रायपुर की बाबा रामदेव के खिलाफ की गई शिकायत :