रायपुर। सारंगढ़-बिलाईगढ़ कलेक्टर कुमार लाल चौहान ने आत्मानंद स्कूल के शिक्षक नरेश चौहान को बिलाईगढ़ जनपद पंचायत का मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) बना दिया है। इसके आदेश में उल्लेख है कि प्रभारी बीईओ नरेश चौहान के सीईओ बनने के फलस्वरूप फलां चौहान को प्रभारी बीईओ बनाया जाता है।
बताया जा रहा है कि नरेश चौहान की नियुक्ति बीजापुर के लिए हुई थी। बाद में उन्होंने प्रतिनियुक्ति पर अपनी पोस्टिंग गृह इलाके बिलाईगढ़ में करा लिया। इसके बाद जिला प्रशासन ने पहले उन्हें प्रभारी बीईओ बनाया। और अब जब सरकार ने आत्मानंद स्कूल को बंद करने का फैसला लिया तो नरेश चौहान को कलेक्टर कुमार लाल चौहान ने जनपद पंचायत सीईओ बना दिया। जबकि, सरकार का सीधा और सरल नियम है कि प्रतिनियुक्ति में प्रतिनियुक्ति नहीं होती। गुरूजी अगर प्रतिनियुक्ति पर बस्तर से बिलाईगढ़ आए थे तो एक तो उन्हें प्रभारी बीईओ नहीं बनाया जाना चाहिए था। उसके बाद अगर सरकार ने आत्मानंद स्कूल को समाप्त कर दिया तो कायदे से प्रतिनियुक्ति स्कूल शिक्षा विभाग को सौंप देनी थी। मगर कलेक्टर ने स्कूल शिक्षा विभाग के गुरूजी को पंचायत सेवा वाले विभाग में प्रशासनिक पद पर पोस्टिंग दे दी।
मीडिया से चर्चा में कलेक्टर कुमार लाल चौहान ने स्वीकार किया कि नरेश चौहान को जनपद पंचायत का सीईओ मैंने बनाया है। इसकी वजह यह है कि बिलाईगढ़ जनपद पंचायत की हालत काफी खराब है। मैंने काफी विचार-विमर्श के बाद उन्हें नियुक्ति दी है। जब कोई योग्य सीईओ की नियुक्ति हो जाएगी, उन्हें हटा दिया जाएगा। उधर इस मामले में जानकारों का कहना है विशेष परिस्थितियों में कलेक्टर प्रभारी सीईओ की नियुक्ति कर लेते हैं, मगर वह पंचायत सेवा का होना चाहिए या फिर जिले में कोई डिप्टी कलेक्टर हो, उसे चार्ज दिया जाता है।
बहरहाल इस मामले के प्रकाश में आने के बाद क्या कार्यवाही होती है इस पर सभी की नजरें टिक गई हैं।