0 प्लेसमेंट एजेंसियों और ट्रेवल एजेंटों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी भी उजागर
दुर्ग। ओमान से भारत लौटकर भिलाई पहुंची दीपिका ने बताया कि कई और महिलाएं मस्कट एम्बेसी के जरिये अपने वतन लौटने को बेताब हैं। हैदराबाद, पंजाब, चेन्नई, बेंगलुरु सहित कई राज्यों से कुकिंग के काम से ओमान की राजधानी मस्कट भेजी गईं महिलाएं दिनों आंसू बहाने को विवश हैं। वो सभी इंडियन एम्बेसी से अपने वतन भारत में परिवार और बच्चों के बीच लौटना चाहती हैं, पर दीपिका को वापस लाने की पहल जिस तरह से छत्तीसगढ़ शासन ने की, वैसा संभवतः दूसरे राज्यों के द्वारा नहीं किया जा रहा है।
‘एम्बेसी वाले खुद नहीं चाहते..
दीपिका ने बताया कि एम्बेसी वाले खुद नहीं चाहते कि महिलाएं इंडिया लौट जाएं। ओमान में कुक और होम मेड को लेकर बड़ी डिमांड है और प्लेसमेंट एजेंसियों को दो साल के एग्रीमेंट पर दो-दो लाख रूपये मिला करते हैं और कहीं न कहीं इस बंदरबांट का फायदा एम्बेसी में बैठे लोगों को भी होता रहा है, नतीजतन एक-एक साल से वापस लौटने की गुहार लगाती महिलाओं का नंबर नहीं लगा है।
भाग्यशाली है दीपिका, ऐसी कई महिलाएं जो…
कल रात खुर्सीपार, भिलाई की दीपिका जब रायपुर एयरपोर्ट पर विधायक रिकेश सेन और अपने परिजनों से मिली तो उसके आंसू नहीं रूक रहे थे। दीपिका ने कहा कि वह ऐसे दलदल में फंसी थी कि अब भी यकीन नहीं हो रहा कि वह अपने वतन लौट आई है। प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने मस्कट की एम्बेसी में ऐसा दबाव बनाया कि उसे तत्काल भारत वापस भेज दिया गया। गृहमंत्री का आभार जताने उनसे मिलने गई दीपिका ने मस्कट के इंडियन एम्बेसी में उसकी तरह फंसी 50 से अधिक महिलाओं को जल्द भारत बुलवाने के लिए पहल करने की मांग की है।
वापस लौटना चाहें तो इस तरह देते हैं धमकी…
दीपिका ने बताया कि लगभग सभी महिलाओं को 30 से 40 हजार सैलरी पर बतौर कुक नौकरी दिलाने का झांसा देकर वहां ले जाया जाता है और होम मेड के सारे काम करवाए जाते हैं। दो वर्ष की नौकरी का एग्रीमेंट होने के बाद बीच में कोई भी लौटना चाहे तो उसके परिवार से 3 लाख और वेतन रिकवरी की धमकी दी जाती है।
भरा-पूरा परिवार और ढेर सारा काम
खुद दीपिका ओमान में जिस हफीजा के चंगुल में फंसी थी, उसके 9 बच्चों का बड़ा परिवार है और सभी बच्चों के तीन से चार बच्चे हैं, लगभग 35 से 40 लोगों के परिवार में उससे घर सफाई से लेकर खाना बनाने, बर्तन धोने का काम करवाया जाता और बदले में एकाउंट में 27 हजार की सैलरी छ: से सात महीने दी गई, जब दीपिका बीमार पड़ी और काम छोड़कर वापस भारत लौटने की बात कहने लगी, तभी से उसके बुरे दिन शुरू हो गए। उससे हफीजा और उसके बच्चों ने मारपीट की और तीन लाख की डिमांड करते हुए सैलरी समेत परिवार से संपर्क का एकमात्र सहारा फोन और वाई फाई सुविधा बंद कर उसके घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
एम्बेसी वाले इस तरह बनाते हैं दबाव
मस्कट के इंडियन एम्बेसी में अपने वतन वापस जाने की गुहार लगातीं पांच दर्जन से भी ज्यादा महिलाएं अब भी मौजूद हैं, जिन्हें समय से भर पेट खाना भी नहीं दिया जाता। एम्बेसी के लोग उन्हें काम पर वापस लौटने का ही दबाव बनाते रहे हैं। इन महिलाओं ने भी दीपिका के माध्यम से वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन को वीडियो भेज कर मदद की गुहार लगाई है।
एजेंट पासपोर्ट और सिम रख लेते हैं
इनमें कई महिलाएं ऐसी भी हैं, जिनके रिश्तेदारों ने उन्हें अच्छी नौकरी का झांसा देकर मस्कट भेज दिया है। महिलाओं ने वीडियो में बताया है कि जब वो वहां पहुंची तो वहां के एजेंट ने उनका पासपोर्ट और सिम ले लिया है। उन्हें मस्कट से नई सिम देकर परिवार से केवल रात में कुछ मिनटों के लिए वाट्सअप काल के जरिए संपर्क की इजाजत होती है। पंजाब की एक महिला भारत में अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य के लिए ओमान गई लेकिन उसे खाड़ी देश में दु:खद और भयावह स्थिति से गुजरना पड़ा और उसने खुद को एक खतरनाक स्थिति में पाया जहां मदद करने वाला कोई नहीं है। एक तरह से यह मानव तस्करी और बंधुआ मजदूरी ही है।
प्लेसमेंट एजेंसी और एजेंट देते हैं धोखा
मस्कट ओमान में आठ महीने बिताने के बाद लौटी दीपिका ने बताया कि जिन महिलाओं को नौकरी (घरेलू नौकरानी या केयरटेकर का काम) देने के बहाने ओमान ले जाया जा रहा है, उन्हें वहां के स्थानीय लोगों को कथित तौर पर बेचा जा रहा है। इंडियन एम्बेसी में लगभग 50 से अधिक अन्य अविवाहित/विवाहित युवतियों का एक बड़ा समूह है जिन्हें भारत में उनके ट्रैवल एजेंटों ने धोखा दिया और वो खाड़ी देश में फंसी हुई अपने रेस्क्यू की प्रतीक्षा कर रही हैं। यह अंतर्राष्ट्रीय मानव तस्करी का ही हिस्सा है, जो खुले आम चल रहा है।
प्रताड़ित हो रही हैं महिलाएं
दीपिका ने आरोप लगाया कि इन सभी कमजोर महिलाओं को ओमान पहुंचने के बाद पीटा जाता है और धमकाया जाता है। जो विरोध करती हैं उन्हें कई दिनों तक भूखा रखा जाता है। चूंकि उनका कोई मददगार नहीं होता, इसलिए वे चुप रह जाती हैं और जिस परिवार के पास भेजा जाता है वहां मुश्किलों के बावजूद सारा काम करती हैं।
प्लेसमेंट एजेंसियों पर कार्रवाई करने की जरुरत
भारत में प्लेसमेंट एजेंसियों का जाल फैला हुआ है। पहले भी एजेंसियों की हरकतें उजागर हुई हैं। छत्तीसगढ़ की सीढ़ी-सादी जरूरतमंद युवतियों को काम के बहाने ले जाकर बेच देने या गलत कामों में धकेल देने के मामले सामने आते रहते हैं। मगर विदेशों में भी काम दिलाने के बहाने ले जाना और इस तरह धोखाधड़ी और प्रताड़ित करने का मामला पहली बार प्रकाश में आया है।
दीपिका के प्रकरण और उसके द्वारा दी गई जानकारी को संज्ञान में लेकर भारत सरकार को अपने एम्बेसी से जानकारी लेते हुए फंसी हुई महिलाओं को तत्काल वापस लाने की पहल करनी चाहिए। साथ ही धोखे में रखकर मानव तस्करी करने वाली प्लेसमेंट एजेंसी और ट्रेवल एजेंटों पर भी क़ानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। इसके अलावा एम्बेसी में काम करने वाले दलालनुमा कर्मियों और अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करके उनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही करनी चाहिए।