रायपुर। DMF याने डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन के तहत मिलने वाले फंड में बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार को देखते हुए खनिज मंत्रालय ने अब नई गाइडलाइन तैयार की है। देश भर में मिल रही शिकायतों और DMF के क्षेत्र में काम कर रहे संगठनों से मिले सुझावों के आधार पर यह दिशा-निर्देश तैयार किया गया है, जिसका पालन होने के बाद खनन क्षेत्र से बाहर DMF की रकम को खर्च करना मुश्किल होगा।
DMF के कानून के लिए केंद्र सरकार ने 2015 में खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY) तैयार की और इसकी गाइडलाइन बनाई। इसके आधार पर ही राज्यों में DMF का कानून बनाया गया। 2015 से लेकर अब तक DMF के हो रहे उपयोग में खामियों को देखते हुए नई गाइडलाइन तैयार की गई है।
प्रभावित क्षेत्र का दायरा बदला
DMF के तहत किसी भी खदान से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावित इलाके का दायरा अब बदल दिया गया है। इसके तहत खदान से 15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले इलाके ‘प्रत्यक्ष प्रभावित’ माने जायेंगे। वहीं खदान से 25 किलोमीटर के दायरे में आने वाल इलाके ‘अप्रत्यक्ष क्षेत्र’ माने जायेंगे। अर्थात DMF के फंड का इस्तेमाल इन्हीं इलाको में किया जाना है।
उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र में ज्यादा खर्च
दरअसल DMF के तहत ऐसे लगभग 14 क्षेत्र तैयार किये गए हैं, जिनमे उच्च और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को विभाजित कर दिया गया है। इनमे से उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र में अब 60 की जगह 70% रकम खर्च करने का प्रावधान बनाया गया है।
सीधे प्रभावित क्षेत्र या Directly Affected Areas में – स्वास्थ्य के अंतर्गत मोबाइल स्वास्थ्य यूनिट को शामिल किया गया है, इसके अलावा शिक्षा में वोकेशनल ट्रेनिंग संस्थान, बजुर्गों और अपाहिजों के लिए स्पेशल प्रोग्राम, और हाउसिंग भी नया जोड़ा गया है। इसके तहत खनन प्रभावितों को पक्का मकान, कृषि – किसान/एफ़पीओ, cooperative को फूड प्रोसेसिंग यूनिट, कोल्ड स्टोरेज, मार्केटिंग यार्ड इत्यादि के लिए मदद, पशुधन सहित कुछ नए प्रावधान बनाये गए हैं।
वहीं पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के अंतर्गत अब खनिज क्षेत्र में विशेष प्रभाव पर अध्ययन और शोध किए जाएंगे। खनिज खनन से प्रभाव पता लगाना, वायु मापना और स्क्रीन पर दर्शना आदि का प्रावधान भी किया गया है।
इसके अलावा अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्र में DMF का 30% खर्च किया जाएगा
प्रभावितों की सूची हर 5 साल में होगी अपडेट
किसी भी खदान से प्रभावित लोगों की सूची को अब हर पांच साल में अपडेट करना होगा, वहीं डीएमएफ़ की वार्षिक प्राप्ति का 10% आजीविका के लिए निर्धारित रहेगा। यह रकम लाभार्थी या एजेंसी को DBT तर्ज पर उनके अकाउंट में जमा की जाएगी। 50 करोड़ से ज़्यादा फ़ंड वाले डीएमएफ़ को पीएमयू द्वारा संचालित किया जाएगा।
कार्ययोजना हर 5 साल के लिए होगी तैयार
खनिज मंत्रालय की नई गाइडलाइन में कहा गया है कि अब हर पांच साल का पर्सपेक्टिव प्लान तैयार करना होगा, जिसमें आधारभूत सर्वे होगा। ग्राम सभा इसमें सहायता कर सकती है। 5 साल की स्ट्रेटजी बनानी होगी, जो पंचवर्षीय योजना में शामिल हो। पंचवर्षीय योजना को वार्षिक एक्शन प्लान में बांटा जाएगा।
फंड के ट्रांसफर पर लगी रोक
नई गाइडलाइन में यह स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी परिस्थिति में डीएमएफ़ से फ़ंड ट्रान्सफर राज्य कोष या राज्य सरकार के फ़ंड या मुख्यमंत्री रिलीफ़ फ़ंड या अन्य राज्य सरकार या उसकी एजेंसी में नहीं किया जायेगा। यह भी निर्देश है कि DMF की रकम का directly और indirectly प्रभावित क्षेत्रों के बाहर कुछ भी खर्च नहीं होगा। राज्य सरकार या राज्य सरकार की समिति पर सिर्फ सही implementation की मॉनिटरिंग का दायित्व होगा।
CAG करेगी DMF की ऑडिट
अब CAG के माध्यम से DMF के अकाउंट का ऑडिट कराया जायेगा। सभी जिलों में चार्टर्ड अकॉउंटेंट DMF की नियमित ऑडिट करेंगे। इसके अलावा CAG से ऑडिट अनिवार्य कर दिया गया है। गौरतलब है कि अब तक CAG के ऑडिट में छत्तीसगढ़ में करोड़ों की गड़बड़ियां पकड़ी जा चुकी हैं।
नए निर्देश के मुताबिक अगर DMF, पीएमकेकेकेवाई गाइडलाइन का उल्लंघन करती है तो राज्य सरकार या केंद्र सरकार नए काम का sanction या चल रहे काम को खारिज (सस्पैंड) कर सकती है। साथ ही ऐसे कार्यों के लिए फ़ंड रिलीज सस्पेंड कर सकती है। अगर ऊपर दिये गए दिशा निर्देश केंद्र सरकार ने पारित किए हैं तो उनको खारिज करने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को ही होगा।
इन सबके अलावा कई दिशा-निर्देश दिए गए हैं, जिनका पालन अनिवार्य किया गया है।
अभी तो जिले का फंड पूरे प्रदेश में बंट रहा..!
छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां जिन जिलों में DMF के रूप में बड़ी रकम मिल रही है, वहां का फंड आसपास के जिलों सहित प्रदेश के किसी भी जिले में बांट दिया जा रहा है। समय-समय पर राज्य सरकार ने नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत DMF का पैसा 40% केवल जिले के लिए और शेष रकम को कई अन्य जिलों में प्रतिशत के आधार पर बांट दिया गया है। वहीं पूरे प्रदेश में इस रकम का मनमाने तरीके से खर्च किया जा रहा है।
क्या सरकार पालन करेगी नए गाइडलाइन का…?
खनिज मंत्रालय की नई गाइडलाइन को अगर अक्षरशः माना जाये तो इसकी पूरी रकम संबंधित खदान के 25 किलोमीटर के दायरे में ही खर्च की जा सकेगी। मगर देखना यह है कि PMKKKY के दिशानिर्देश का राज्य सरकार कितना पालन करती है। फ़िलहाल प्रदेश के खनिज मंत्रालय की नई गाइडलाइन का सभी को इंतजार होगा।