0 RTI से हुआ लेट-लतीफी का खुलासा

रायपुर। बीते एक वर्ष में भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में FIR दर्ज नहीं करने वाली राज्य सरकार की एजेंसियों आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) व एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) कार्यालय द्वारा 4 प्रकरणों को अभियोजन स्वीकृति के लिए शासन को भेजकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली गई है, जबकि इन मामलों में सीधे FIR दर्ज किये जाने का प्रावधान है। बीते 4 माह से सभी प्रकरण स्वीकृति के नाम पर लटके हुए हैं। RTI से इसका खुलासा होने के बाद मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की गई है।

जांच के बाद तत्काल कार्रवाई का है प्रावधान

दरअसल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 (1) व CRPC की धारा 197 के प्रकरणों को तत्काल निपटाने के लिए कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है। कोई भी प्रकरण अगर जांच के बाद FIR के दायरे में आता है तो तत्काल यह प्रक्रिया अपनायी जानी चाहिए, मगर ACB और EOW में ऐसे ही 4 प्रकरणों की जांच की गई और उन्हें अभियोजन स्वीकृति के लिए सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) में भेज दिया गया। अब ये सभी प्रकरण स्वीकृति के लिए 4 माह से लंबित हैं। इस तरह प्रकरणों का अभियोजन स्वीकृति के लिए लंबित होना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 (1) के उप प्रावधानों तथा सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी निर्देशों का भी उल्लंघन है। इससे शासन की छवि भी खराब हो रही है।

दरअसल RTI के तहत जानकारी देने में हीला हवाला करने वाले ACB और EOW में से ACB ने हमर संगवारी संस्था को जानकारी दी कि उनके द्वारा 3 प्रकरणों की जांच करके अभियोजन की स्वीकृति के लिए GAD में भेजा गया है। इसी के सन्दर्भ में हमर संगवारी संस्था के राकेश चौबे ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वे सभी विभागों को आदेशित करें कि ACB और EOW तथा न्यायालयों द्वारा आदेशित प्रकरणों में जो अभियोजन स्वीकृति अथवा जांच आरंभ करने की स्वीकृति के मामले सक्षम प्राधिकारियों अथवा राज्य प्राधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत हैं, उन्हें हर हाल में समय-सीमा के अंदर छानबीन कर निर्णय से अवगत करा देवें।

बता दें कि ACB में जो मामले FIR के लिए लंबित हैं उनमें छग राज्य विद्युत् वितरण कंपनी, छग खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड तथा विधि और विधायी कार्य विभाग से संबंधित हैं।

साथ ही यह भी बताते चलें कि ACB और EOW ने बीते साल 2023 में केवल एक प्रकरण को छोड़कर भ्रष्टाचार का कोई भी प्रकरण दर्ज नहीं किया है। यह एक प्रकरण भी एक बैंक प्रबंधन द्वारा दर्ज कराया गया है। अर्थात पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ में कोई भी शासकीय कर्मचारी-अधिकारी रिश्वत के मामले में पकड़ा नहीं गया और न ही आय से अधिक संपत्ति के किसी मामले में प्रकरण दर्ज नहीं किया गया। दोनों जांच एजेंसियों के भारी-भरकम अमले के बावजूद मामला दर्ज न करना चर्चाओं को जन्म देता है। वहीं RTI से इस बात का भी खुलासा होता है कि ACB और EOW के अधिकारी चाहते तो 4 लंबित प्रकरणों में FIR दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर सकते थे, मगर लगता है कि ऐसा करने से ACB और EOW का पिछले वर्ष राज्य को ‘ईमानदार’ घोषित करने का रिकॉर्ड टूट जाता।

बहरहाल उम्मीद की जा रही है कि सत्ता परिवर्तन के बाद सरकार की दोनों जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली में तेजी आएगी और लंबित प्रकरणों पर भी जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।

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