रायपुर। महादेव सट्टा मामले को लेकर छत्तीसगढ में ईडी ने जिन दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है उनसे पूछताछ में कई नई बातें निकलकर सामने आई है। महादेव सट्टा का पैसा कैसे कहां जाता‌ था उसका भी खुलासा हुआ है।

छत्तीसगढ़ में चर्चित महादेव सट्टा मामले के लेकर ED को पूछताछ करने के बाद नए लोगों के बारे में जानकारी मिली है। साथ ही महादेव सट्टा की अवैध कमाई को कैसे आरोपियों की मदद से उसको लीगल किया जा रहा था यह भी खुलासा हुआ है। ED ने महादेव सट्टा मामले में जिन दो लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें से 1 रायपुर का कारोबारी और 1 कलकत्ता का कारोबारी है। बताया‌ जा रहा है कि इन दोनों की मदद से महादेव सट्टा ऐप की कमाई को लीगल तौर पर अलग-अलग जगह इन्वेस्ट किया जाता था। यह भी बतलाया गया कि शुक्रवार को ईडी की गिरफ्त में आए, आरापियों के विदेशी खातों का पता चला है।

ईडी ने एक्स पर ट्वीट कर बताया है कि महादेव ऑनलाइन बुक के संचालन में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत शनिवार को नितिन टिबरेवाल और अमित अग्रवाल को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया था। पीएमएलए स्पेशल कोर्ट, रायपुर ने दोनों आरोपियों को 17 जनवरी तक 5 दिनों के लिए ईडी हिरासत में भेज दिया है। ईडी‌ दोनों से अभी और पूछताछ करेगी, माना जा रहा है कि सौरभ और रवि के पैसों से जुड़ी‌ और जानकारी ‌दोनों के माध्यम से बाहर आ सकती है‌।‌

पूछताछ में हुआ ये खुलासा

महादेव सट्टा‌ मामले में ईडी के द्वारा पूछताछ में अभी जो बाते निकलकर सामने आई है उसके अनुसार नितिन टिबरेवाल ने दुबई में बंगले और संपत्ति खरीद रखी‌ है। इसके साथ ही आरोपी इस पूरे सट्टे के पैसे को शेयर खरीदकर अलग-अलग जगह खपाता था। ED अब दोनों की सभी संपत्ति ‌की जांच‌ करने में भी लग गई है। बहुत जल्द कई नए खुलासे होने का इंतजार किया जा रहा है।

महादेव ऑनलाइन बुक के लिए फण्ड का काम

ईडी की जांच से पता चला कि नितिन टिबरेवाल मेसर्स टेकप्रो आईटी सॉल्यूशंस लिमिटेड का बहुसंख्यक शेयरधारक हैं। जांच से पता चला कि यह कंपनी महादेव ऑनलाइन बुक के लिए फण्ड के रूप में काम कर रही थी और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के माध्यम से भारत में अवैध संचालन से उत्पन्न अपराध की आय का निवेश कर रही थी।

तथ्यों को छुपाने का कर रहा था प्रयास

नितिन टिबरेवाल ने कई अवसर दिए जाने के बावजूद इस तथ्य को छुपाने की कोशिश की। उसने ED के सामने अपने विदेशी बैंक खातों और संपत्तियों का भी खुलासा नहीं किया, जिन्हें ईडी ने जांच के दौरान खोजा है। इस प्रकार, नितिन टेबरीवाल को जानबूझकर आय को अपने नाम पर और संबंधित भारतीय और विदेशी संस्थाओं के माध्यम से निवेश करके मदद करने में पाया गया।

‘पत्नी के नाम खरीदी संपत्ति’

अमित अग्रवाल, अनिल कुमार अग्रवाल का भाई है जो महादेव ऑनलाइन बुक में पार्टनर भी है। अमित अग्रवाल ने जानबूझकर महादेव ऑनलाइन बुक से प्राप्त अपराध की आय का उपयोग अपने और अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदने में किया है। इन खरीदियों के वित्तपोषण के लिए, अमित अग्रवाल ने कुल रु. की प्रविष्टियों की व्यवस्था की। उसके और उसकी पत्नी के बैंक खातों में नकदी के रूप में 2.5 करोड़ रुपये हैं। निदेशालय के समक्ष दर्ज किए गए बयानों में, उसने कहा कि ये बैंक प्रविष्टियां ऋण हैं, हालांकि, लेनदेन में शामिल एंट्री ऑपरेटर ने सच्चाई का खुलासा किया। इस प्रकार, अमित अग्रवाल को जानबूझकर अपराध को आय को छिपाने में सहायता करते हुए पाया गया।

अब तक इतनी संपत्ति हुई जब्त…

इस मामले में, जांच के दौरान चल संपत्ति 572.41 करोड़ रुपये जब्त किया गया हैं। दो कुर्की आदेश जारी किए गए हैं। जिनमें चल और अचल संपतियां कुर्क की गई हैं। 142.86 करोड़, मामले में अभियोजन शिकायतें दिनांक 20.10.2023 और 01.01.2024 दर्ज की गई हैं। फिलहल दो अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिससे मामले के संबंध में पकड़े गए आरोपियों की कुल संख्या आठ हो गई है।

लगातार चल रही है ED की जांच

ED ने पुलिस की एफआईआर के आधार पर इस मामले की जांच शुरू की थी। इसके बाद, विशाखापटनम और अन्य राज्यों की पुलिस द्वारा दर्ज की गई अन्य एफआईआर को भी रिकॉर्ड पर लिया गया। महादेव ऑनलाइन बुक बेटिंग ऐप एक सिंडिकेट है जो अवैध सट्टेबाजी वेबसाइटों को नए उपयोगकर्ताओं को नामांकित करने, उपयोगकर्ता आईडी बनाने और बेनामी बैंक खातों के एक वेब के माध्यम से धन की हेराफेरी करने में सक्षम बनाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की व्यवस्था करता है।

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