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देहरादून । असम के बाद उत्तराखंड के मदरसे चर्चा में हैं। वजह है- हिंदू बच्चों का मदरसों में पढऩा। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग को 2 नवंबर को शिकायत मिली थी कि उत्तराखंड के मदरसों में हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं और शिक्षा की आड़ में धर्मातरण चल रहा है। इस पर आयोग ने मदरसा शिक्षा परिषद से रिपोर्ट मांगी।

इससे सामने आया कि उत्तराखंड में कुल 412 मदरसे हैं। इनमें 18 हजार बच्चे पढ़ रहे है। इनमें से 30 मदरसे ऐसे हैं, जिनमें पढऩे वाले 7,399 बच्चों में से 749 बच्चे गैर मुस्लिम या हिंदू हैं। तीन जिलों (हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल) के 30 मदरसों में 749 हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं। सबसे ज्यादा 21 मदरसे धर्म नगरी हरिद्वार में हैं, जहां 623 हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं। उधमसिंहनगर में 8 मदरसों में 122 और नैनीताल के एक मदरसे में 4 हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं। हालांकि परिषद ने धर्मातरण से इनकार किया है।

टॉप 10 मदरसे, जहां हिंदू बच्चे ज्यादा

राजसगर अली मेमोरियल, हरिद्वार 131

बहार-ए-चमन, हरिद्वार 112

जामिया इस्लामिया, लवसर, हरिद्वार 50

मदरसा एवर ग्रीन, मुंडाखेड़ा, हरिद्वार 41

महयूबिया हजारा बंट, हरिद्वार 28

रामा पब्लिक, लवसर, हरिद्वार 20

मदरसा राष्ट्रीय एकता, हरिदम 85

तुल आलिम, रुड़की हरिद्वार 79

साबिर हुसैन इस्लामिया, ऊद्यमिनंहनमा 68

साबिर बाबा साहब उधमसिंह नगर 21

हिंदू अभिभावक बोले- पाइवेट स्कूलों में पढ़ा नहीं सकते

मदरसों में हिंदू बच्चों के पढऩे के आंकड़े सामने आने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर हिंदू बच्चे मदरसों में क्यों पढ़ रहे हैं?जब कुछ मदरसों में पहुंचा गया तो तस्वीर अलग निकली। हिंदू अभिभावकों ने बच्चों को मदरसों में पढ़ाने की दो बड़ी मजबूरी बताई हैं। पहली उनके क्षेत्र में सरकारी स्कूल नहीं है, अगर हैं तो वह काफी दूर है। दूसरी प्राइवेट स्कूलों की फीस ज्यादा है। हरिद्वार के मदरसा एवखीन में पढऩे वाले जुड़वां बच्चे गौरव और सौरव की मां मेस्वती बताती हैं कि हमारे घर से सरकारी स्कूल 10 से 12 किमी दूर है। मदरसा ठीक पास है। मदरसा इस्लामिया में बच्चे भेजने वाले मेहरबान सिंह का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने की हमारी हैसियत नहीं है।

मदरसों में भी एनसीईआरटी कोर्स पढ़ा रहे

महानिदेशक उत्तराखंड के शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी के मुताबिक जिन इलाकों के हिंदू बच्चे मदरसों में पढ़ रहे हैं, वहां सरकारी स्कूल नहीं है। जो स्कूल हैं, वो मदरसों की तुलना में दूर हैं। एनसीईआरटी से पढ़ाई होती है, इसलिए हिंदू अभिभावक अपने बच्चों को मदरसों में भेज रहे हैं। फिलहाल धर्मातरण का केस नहीं मिला है।

मदरसों में उर्दू और अरबी के लिए अलग कक्षाएं

परिषद उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने बताया कि मदरसों में उर्दू और अरबी की पढ़ाई बंद है। जिन मुस्लिम बच्चों को इस्लामी शिक्षा हासिल भी करनी होती है, उनके लिए भी अलग व्यवस्था होती है। • मदरसों में एनसीईआरटी आधार पर अंग्रेजी, गणित और विज्ञान की पढ़ाई अनिवार्य कर दी गई है।

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