राजनांदगांव। धर्म नगरी डोंगरगढ़ में देश की प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षक फातिमा शेख के योगदान को जन्म जयंती के रूप में मनाया गया, शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए आदर्श बौद्ध महासभा नागसेन बुद्ध विहार द्वारा डां.नौशीन अंजुम, अफशा परवीन, मुमताज खान, गौसिया अंजुम एवं निशाद सिद्दिकी शिक्षिकाओं को सम्मानित भी किया गया तथा महिला सशक्तिकरण, शिक्षा का महत्व और ज्ञान विज्ञान पर कार्यशाला का आयोजन हुआ।
भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले एवं प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फ़ातिमा शेख़ के जीवन संघर्ष व उनका योगदान हर एक व्यक्ति तक पहुंच सके। इस उद्देश्य को लेकर भारत की प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फ़ातिमा शेख़, माता सावित्री फुले के प्रेरणादायी संघर्षमय जीवन की जानकारी इस कार्यशाला में प्रदान की गई जिसमें दोनों ने साथ मिलकर शिक्षा व अन्य क्षेत्र कार्य किये जो मानव उत्थान व प्रगतिशील समाज के लिए बहुत आवश्यक था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता माया भास्कर द्वारा की गई। मुख्य अतिथि डां. नौशीन अंजुम ने फातिमा शेख की जीवनी पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित आफशा परवीन ने बताया कि फातिमा शेख ने 1848 में स्वदेशी पुस्कालय की स्थापना ज्योतिबा राव व सावित्रीबाई के साथ मिलकर की जो लड़कियों एवं वंचित समाज के बच्चों के लिए पहली लाइब्रेरी बनी। वक्ताओं में निशाद सिद्दिकी एवं मुमताज खान ने भी फातिमा शेख एवं माता सावित्रीबाई के संघर्षों एवं आत्मसम्मान पर प्रकाश डाला, ट्रस्टी सिद्दार्थ नागदेवे ने फातिमा शेख के एवं सावित्रीबाई फुले को इतिहास में मुकम्मल स्थान ना मिलने पर चिंता व्यक्त की वहीं आदर्श बौद्ध महासभा के अध्यक्ष डॉ. मुन्नालाल नंदेश्वर ने कहा कि फातिमा शेख एवं सावित्रीबाई फुले एवं हमारे महापुरुषों को राष्टनायक एवं राष्ट्रनायिका के रुप में स्थान दिलाने के लिए लिए ऐसे कार्यशाला का आयोजन आदर्श बौद्ध महासभा डोंगरगढ़ द्वारा लगातार किया जाता रहा है। भदंत नागरत्न ने बताया कि सावित्रीबाई फुले और उनके पति ज्योतिबा राव फूले को फातिमा शेख व उस्मान शेख ने हर कदम पर उनका साथ दिया। कार्यक्रम का संचालन अमिताभ दुफारे सर द्वारा किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में योगेश सरजारे, विलास सहारे, पत्रकार मो.अकील कुरैशी, शिक्षक – मोइन सिद्दीकी, सरोज लांजेवार, चांदनी सहारे, संजू गजभिये, रेखा सहारे , प्रभा चंद्रिकापुरे, बबीता, बीना इंदुरकर एवं समस्त उपासक एवं उपासिकाओ की उपस्थिति एवं योगदान रहा।