रायपुर। सरकार की सार्वजानिक वितरण प्रणाली के तहत आम नागरिकों को अब सामान्य चावल की जगह फोर्टिफाइड राइस का आबंटन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में सरकार की इस बड़ी योजना के टेंडर में बड़ा खेल हुआ है, जिसका खुलासा फोर्टिफाइड राइस बनाने वाले राइस मिलर्स ने ही किया है। इनका आरोप है कि इस राइस की सप्लाई के लिए निकाला गया 500 करोड़ रुपयों का टेंडर ही गलत नियम शर्तों के तहत जारी किया गया है।

क्या है फोर्टिफाइड राइस..?

फोर्टिफाइड चावल निर्माताओं ने इस संबंध में रायपुर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता का आयोजन करते हुए बताया कि फोर्टीफाइड राइस कर्नेल जिसे संक्षेप में FRK कहा जाता है। इसका निर्माण चावल या चावल के टुकड़ों को पीसकर उसमें तय मात्रा में विटामिन एवं मिनरल्स मिलाकर मशीनों के माध्यम से उसे पुनः चावल का रूप दिया जाता है। इस FRK को सादे चावल के साथ 1% मिश्रित कर भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है जिससे कुपोषण से मुक्ति एवं मानव शरीर में विटामिन मिनरल्स की कमी की पूर्ति की जा सकती है।

FRK निर्माताओं का आरोप है कि कैसे एक बड़ी सरकारी इकाई ‘NAFED’ सभी शासकीय नियमों और कानून को ताक में रखकर अपने एकाधिकार का फायदा उठाते हुए छ.ग. राज्य के नव प्रवेशी छोटे FRK निर्माता और छोटे उद्योगपतियों का हक छीनकर उनका भविष्य अंधकारमय करने जा रही है तथा कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने हेतु कूट रचना का हिस्सा बन रही है।

दूसरे राज्यों से मंगाना पड़ता था महंगा

राइस मिलर्स ने बताया कि छ.ग. प्रदेश में वर्ष 2020-21 तक एफ.आर.के. निर्माण की एक भी यूनिट स्थापित नहीं थी, तब इसकी खरीदी अन्य राज्यों से बहुत ऊंचे दाम (लगभग 150/- प्रति किलो) में की जाकर पीडीएस चावल में मिश्रित कर सप्लाई की जाती थी। भारत सरकार की नीति के अनुरूप जब इसकी खपत बढ़ने लगी तब इसके निर्माण की अनेक इकाइयां प्रदेश में स्थापित हुई। इस चालू वर्ष में भी अनेकों इकाइयों प्रारंभ हुई तथा कई इकाइयां प्रारंभ होने के लिए अंतिम चरण में भी हैं।

नाफेड को सप्लाई का दे दिया एकाधिकार

खरीफ वर्ष 2022-23 के लिए भारत सरकार के आदेश के अनुसार राज्य के समस्त FRK निर्माताओं से इस चावल की खरीदी कर उसे छ.ग. राज्य मार्कफेड को सप्लाई करने का एकमेव एकाधिकार NAFED अर्थात नेशनल एग्रीकल्चर कोऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड जो कि भारत सरकार की एक बड़ी इकाई है, उसे दिया गया । इस आदेश के अनुसार अन्य राज्यों की तरह ही छ.ग. में भी केवल नाफेड ही FRK की खरीदी राज्य के पंजीकृत एवं “empaneled” निर्माता से ही कर सकेगा और छ.ग. मार्कफेड को विक्रय करेगा। मार्कफेड द्वारा उसे प्रदेश के राइस मिलर्स को प्रदाय किया जाएगा, जिसे प्रदेश के मिलर्स कस्टम मिलिंग के चावल में 1% मिश्रित कर राज्य की चावल खरीदी एजेंसी नागरिक आपूर्ति निगम एवं केंद्रीय चावल खरीदी एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (FCI) में सप्लाई करेंगे ।

FRK निर्माता मोहन लाल अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि नाफेड द्वारा प्रदेश में 16.10. 2023 को एक्सप्रेशन आफ इंटरेस्ट (EOI) की सूचना जारी की गई और उसके तहत प्रदेश के FRK निर्माताओं से आवेदन मंगा कर इसकी विधिवत जांच कर दिनांक 13. 11. 2023 को प्रदेश के सभी स्थापित FRK निर्माताओं को प्रदेश में सप्लायर के रूप में empanel किया गया। इनकी संख्या 58 बताई गई है।

टेंडर की शर्तें दूसरे प्रदेशों से अलग

NAFED के छ.ग. स्थित कार्यालय द्वारा 30.11.2023 को FRK सप्लाई का टेंडर आमंत्रित किया गया। प्रदेश के FRK निर्माताओं से टेंडर में चर्चा के बिना ही कई तरह की विवादित नियम एवं शर्तें रखी गई जो कि NAFED द्वरा ही जारी अन्य प्रदेशो के टेंडर में कहीं नहीं हैं। टेंडर के कंडिका क्रमांक 1.4 एवं 1.5 में जो शर्त डाली गई है उससे यह साफ़ नजर आता है कि इसे किसी विशेष फर्म को सप्लाई का ठेका देने के लिए तैयार किया गया है। इसमें उल्लेखित शर्तें इस तरह की हैं :

  1. टेंडर कर्ता निर्माता का पिछले वित्तीय वर्ष में न्यूनतम चार करोड़ का टर्नओवर होना चाहिए।
  2. टेंडर कर्ता को न्यूनतम एक वर्ष का FRK सप्लाई करने का अनुभव होना चाहिए
  3. टेंडर कर्ता का BIS Certification होना चाहिए ।

यदि कोई निर्माता टेंडर कर्ता उपरोक्त 1 एवं 2 कंडीशंस में एलिजिबल नहीं है एवं 3 में है तो भी वह टेंडर प्रक्रिया में भाग ले सकेगा | अगर निर्माता उपरोक्त तीनो कंडीशंस में एलिजिबल नहीं होता तो वह टेंडर में भाग नहीं ले सकेगा।

टेंडर जमा करने की सबसे छोटी अवधि का रिकॉर्ड

राइस मिलर्स ने बताया कि राज्य की भंडार क्रय नीति में राज्य के लिए खरीदी हेतु जारी किए जाने वाले टेंडर के लिए नियम है कि 10 लाख या उससे अधिक के टेंडर के लिए टेंडर जारी करने की तिथि से टेंडर जमा करने की न्यूनतम अवधि 30 दिन से कम नहीं होनी चाहिए। इस केस में NAFED द्वारा 30.11.2023 को रात्रि 10.00 बजे जारी टेंडर की अंतिम तिथि 05. 12. 2023 की गयी जिसमे दो दिन के शासकीय अवकाश भी थे, अतः कार्यशील दिवस मात्र तीन दिन ही बचे। बता दें कि आज इस टेंडर का आखिरी दिन था।

टेंडर को लेकर मिलर्स ने उठाया सवाल…

FRK निर्माताओं ने NAFED द्वारा बमुश्किल एक हफ्ते की अवधि के बीच निकाले गए टेंडर और उसके उटपटांग नियम-शर्तों को लेकर कई सवाल उठायें हैं। इनका कहना है कि टेंडर के शर्तों के चलते 58 में से 38 मिलर्स टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने से अपात्र हो गए हैं, जबकि उन्हें इम्पैनल करते वक्त इस तरह की शर्तों के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया था। ऐसे में जिन FRK निर्माताओं का टर्नओवर 4 करोड़ से कम है और जिनके मिल इसी वर्ष प्रारम्भ हुए हैं उन्हें तो सप्लाई का मौका ही नहीं मिलेगा। अर्थात उनका हक ही मारा जायेगा। सवाल यह है कि ऐसे राइस मिलर्स क्या भविष्य के वर्षों में भी उन शर्तों को पूरा कर पाएंगे ? क्या ऐसे उद्योगों का श्रम एवं निवेश पूरा व्यर्थ चला जाएगा एवं उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा ?

पूर्व सरकार और मार्कफेड की क्या है भूमिका..?

FRK निर्माताओं ने सवाल उठाया है कि क्या यह साजिश या पूर्व सरकार और कुछ प्रभावशील निर्माताओं से मिलीभगत कर टेंडर में अचानक ही कुछ विशेष शर्ते लागू की गई ? इनका यह भी कहना है कि NAFED के नियम-शर्तें तैयार करने में MARKFED के पूर्व अधिकारी मनोज सोनी की महत्वपूर्ण भमिका रही है।

मिल बंद कर सौंप देंगे चाबी

चुनिंदा राइस मिलर्स को लाभ पहुंचाने की नियत से तैयार टेंडर अगर निरस्त नहीं किया जाता है तो इसका दर्जनों राइस मिलर्स को नुकसान होगा और उन्हें अपना कारोबार बंद करना पड़ेगा। PC में मौजूद राइस मिलर्स मोहन अग्रवाल, केके शांडिल्य, श्रवण अग्रवाल ने कड़े शब्दों में कहा है कि अगर इस टेंडर की वजह से उन्हें नुकसान हुआ तो वे अपने मीलों में टाला बंद करके चाबी शासन को सौंप देंगे।

दरअसल FRK एक ऐसा उत्पाद है, जिसका उपयोग केवल और केवल पीडीएस में वितरित किए जाने वाले चावल में मिश्रण करने में ही होता है एवं खुले बाजार में इसका कोई विक्रय या उपयोग नहीं है।” ऐसे में मिलर्स ने फोर्टिफाइड राइस की जो यूनिट तैयार की है वे सप्लाई के आभाव में स्वमेव ही बंद हो जाएंगी इसका सीधा नुकसान मिल मालिकों को होगा। इन्हें उम्मीद है कि प्रदेश की नई सरकार कुछ पहल करते हुए ऐसे टेंडर को निरस्त करते हुए नया टेंडर जारी कराएगी।

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