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रायपुर। विधान सभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ में हर रोज लाखों-करोड़ों की नगदी और सामग्रियों की जब्ती हो रही है। इसका व्यावसायिक संगठनों द्वारा विरोध भी किया जा रहा है, मगर प्रशासन द्वारा बिना दस्तावेज के 50 हजार से अधिक ले जाये जा रहे रकम को सीधे जब्त किया जा रहा है, वहीं आयकर विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी के इस संबंध जारी किये गए बयान से नई बहस छिड़ गई है।

IT के चीफ कमिश्नर ने क्या कहा..?

विधानसभा निर्वाचन -2023 की आचार संहिता में कैश जप्ती की हो रही कार्रवाई पर आयकर विभाग (आईटी) के मप्र-छग के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर पीके दास ने कहा है कि ढाई लाख से कम की राशि किसी भी हाल में जप्त नहीं की जा सकती है। इसका किसी को अधिकार नहीं है।

जब्त राशि 24 घंटे में लौटाने का नियम

मप्र-छग के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर पीके दास ने सीए भवन, इंदौर में व्यापारियों से कहा था कि वर्तमान में हो रही कैश जप्ती की कार्रवाई उचित नहीं है। ऐसी जब्त राशि फरियादी को 24 घंटे में लौटाने का नियम है। इसका पालन नहीं हो रहा तो आयोग को शिकायत की जा सकती है।

दरअसल चुनाव आयोग ने भी केवल चुनाव प्रत्याशी, उनके एजेंट या समर्थक द्वारा ही 50 हजार से अधिक कैश परिवहन करने पर जप्ती के लिए कहा है, आम व्यक्ति से नहीं।

अब तक 39 करोड़ से अधिक की जब्ती

निर्वाचन आयोग, छत्तीसगढ़ हर रोज अपनी प्रेस ब्रीफिंग में प्रमुखता से इस बात की जानकारी दे रहा है कि अब तक प्रदेश में विभिन्न जांच एजेंसियों द्वारा कितनी नगद रकम और कीमती वस्तुओं की जब्ती की गई। 30 अक्टूबर तक की स्थिति में 39 करोड़ 53 लाख रुपए से अधिक की अवैध धन राशि तथा वस्तुएं जब्त की जा चुकी है। इनमें दस करोड़ 43 लाख रुपए की नगद राशि भी शामिल है।

सामग्री अथवा रकम के दस्तावेज होना जरुरी

इस संबंध में बेमेतरा के कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी पी एस एल्मा से बात की गई। आयकर विभाग के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर द्वारा आम आदमी द्वारा ले जाये जा रहे ढाई लाख से कम की राशि किसी भी हाल में जप्त नहीं किये जाने संबंधी नियम का हवाला दिया गया तो उन्होंने कहा कि जैसा निर्देश चुनाव आयोग का है उसका पालन किया जा रहा है। दरअसल आम आदमी भी अगर 50 हजार या उससे अधिक रकम बैंक लेकर जाता है तो मैनेजर उससे पूछताछ करता है कि रकम का क्या श्रोत है। ठीक वैसे ही जांच के दौरान जब 50 हजार से अधिक की रकम या फिर वस्तुएं मिलती हैं तो उसके दस्तावेज की मांग की जाती है, और अगर वह बेनामी हुआ तो जब्ती की प्रक्रिया स्वाभाविक है। बाद में अगर दस्तावेज जमा किये जाते हैं तो सामग्री या रकम लौटा दी जाती है।

कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी जरुरी

चुनाव के दौरान जिलों में स्थापित निगरानी केंद्रों के लिए स्थैतिक निगरानी दल (SST) गठित किये जाते हैं, जिसमें कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की नियुक्ति जरुरी होती है। चुनाव आयोग के आदेश में यह स्पष्ट है कि निगरानी दलों द्वारा कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में ही जांच की जाएगी। अक्सर नायब तहसीलदार अथवा तहसीलदार को टीम में शामिल करने का लिखित आदेश रहता है मगर सच तो यह है कि अधिकांश अधिकारी निगरानी दल के साथ मौजूद नहीं रहते। अमूमन कोई संदिग्ध सामग्री अथवा बड़ी रकम मिल जाये तो कार्यपालिक मजिस्ट्रेट को सूचना देकर मौके पर बुला लिया जाता है। जबकि चौबीसों घंटे इनकी मौजूदगी भी जरुरी है। दरअसल इन्हें चुनाव के दौरान दूसरे महत्वपूर्ण काम भी सौंप दिए जाते हैं, इसीके बहाने ये अधिकारी जांच के दौरान मौजूद नहीं रहते।

IT अधिकारी के बयान से व्यापारी दिग्भ्रमित

आयकर विभाग (आईटी) के मप्र-छग के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर पीके दास ने कहा है “ढाई लाख से कम की राशि किसी भी हाल में जप्त नहीं की जा सकती है। इसका किसी को अधिकार नहीं है।” उनके इस बयान की खबर हर जगह वायरल हो रही है और व्यापारी वर्ग इसी के आधार पर ढाई लाख तक की रकम ले जाने संबंधी तर्क दे रहा है, मगर यह भी सच है कि आप 50 हजार से अधिक कितनी भी रकम लेकर जा रहे हों, आपको उस रकम का श्रोत और अन्य जानकारियों से संबंधित दस्तावेज तो पेश करना ही पड़ेगा।

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