0 भीम के पकडे जाने के बाद उसके सिपाही भाई सहदेव का नाम भी हुआ उजागर
दुर्ग। महादेव सट्टे का केंद्र बिंदु रहे दुर्ग-भिलाई में पुलिस के आला अधिकारियों से लेकर जवानों तक का संरक्षण इस कारोबार को मिलने की खबरें तो आम थी मगर कई जवान तो खुद इस कारोबार में शामिल हैं, यह खुलासा होने के बाद तहलका मच गया है। ईडी ने हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी भिलाई निवासी ड्राइवर असीम दास उर्फ बप्पा बंगाली के साथ दुर्ग पुलिस के सिपाही भीम सिंह यादव को करोड़ों के कैश के साथ पकड़ा है। बताया जा रहा है कि उसके पास से 3 करोड़ रूपये मिले हैं।
जूस कारोबारी से बना विश्वव्यापी सट्टेबाज
अब तक तो यह सभी को पता चल ही गया है कि कि भिलाई में जूस की छोटी सी जूस की दुकान चलाने वाला सौरभ चंद्राकर आज पुलिस के संरक्षण में कहां से कहां पहुंच गया है। बताया जा रहा है कि अपने पार्टनर के साथ महादेव एप से सट्टे का कारोबार चलाने वाला सौरभ इन दिनों दाऊद इब्राहिम के भाई के साथ पाकिस्तान में सट्टे का कारोबार चला रहा है। अरबों रुपए कमाने वाले सौरभ और उसके पार्टनर के नीचे भारत मे कई लोग करोड़ों में कमा रहे हैं। इनमें भिलाई-दुर्ग के लोग सबसे ज्यादा हैं। आलम ये है कि पुलिस के जवान और अधिकारी भी यह कारोबार चला रहे हैं।
भाई के संग सट्टे का कारोबार
खुलासा हुआ है कि भीम अकेला ऑनलाइन सट्टा नहीं चलवाता था, बल्कि इसमें भीम का भाई और सुपेला थाना में सिपाही सहदेव समेत और कई पुलिस कर्मी शामिल हैं। इस कार्रवाई के बाद अब महादेव आनलाईन सट्टा कारोबार में सहयोगी बने पुलिस वालों पर भी ईडी की नजर है।
लाइन अटैच था भीम और सहदेव सस्पेंड
बता दें कि पूर्व एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने एक वर्ष पूर्व नवंबर 22 में जिला बल के सिपाही दो भाइयों भीम सिंह और सहदेव की सट्टे में संलिप्तता पाई थी। पता चला है कि ये लोग जेल में निरूद्ध एएसआई चंद्रभूषण वर्मा के लिए काम करते थे। तब उन्होंने भीम को लाइन अटैच और सहदेव को सस्पेंड किया था। मगर इसके बाद इनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। बताया जा रहा है कि भीम तो लाइन में अटैच रहकर अब और भी खुलकर सट्टे का कारोबार करने लगा था।
खबर यह भी है कि जांच और सीडीआर रिपोर्ट में दुर्ग पुलिस के दर्जन भर ऐसे सिपाहियों के भी नाम सामने आए थे जो प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप महादेव पैनलिस्टों के सम्पर्क में रह कर उनके मददगार रहे हैं।
ड्यूटी से साल भर से गायब था सहदेव
दुर्ग के पूर्व एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने सहदेव की संलिप्तता सीधे दुबई बैठे ऑनलाइन सटोरियों से पाई थी। सहदेव बिना बताए एक साल से अधिक समय तक ड्यूटी में भी नहीं आया था। उसके भाई भीम की भी भूमिका उसमें संदिग्ध थी। इसको लेकर एसपी ने दोनों के खिलाफ जांच कराई। इनकी जांच आईपीएस वैभव बैंकर, निखिल रखेचा, प्रभात कुमार और एसपी दुर्ग सहित चार-चार आईपीएस अधिकारियों ने की। सबसे बड़ी बात यह है कि इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत भी मिले, लेकिन चाहकर भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं नहीं हो सकी। हालांकि इसके बाद एसपी और तीनों आईपीएस का ट्रांसफर भी हो गया।
पैसे के बल पर एक ही जगह जमे रहे
जानकारों का मनना है कि अगर उस समय इनके ऊपर कार्रवाई होती तो कई बड़े राज खुल सकते थे क्योंकि विभाग के कई संदिग्ध कर्मचारियों की संलिप्तता महादेव सटोरियों से रही है। लगभग दर्जन भर पुलिस वालों की ऑनलाइन सट्टा ऐप को लेकर भूमिका संदिग्ध रही है जिसमें आधे से ज्यादा क्राईम ब्रांच में पदस्थ रह चुके हैं। कहा यह भी जाता है कि ऐसे ही लोग रूपये के दम पर लंबे समय से एक ही जगह पर जमे रहे और लगातार उनका ट्रांसफर रूकता रहा है। चर्चा यह भी है कि कई एसपी आए और गए लेकिन कुछेक संदिग्ध पुलिस वालों को दुर्ग जिले से दूर हटाने की हिम्मत किसी ने नहीं की।
SSP पल्लव ने किया था खुलासा
गौरतलब है कि IPS डॉ. अभिषेक पल्लव ऑनलाइन सट्टा पर सबसे अधिक कार्रवाई करने वाले एसपी रहे हैं। मार्च – 22 को डॉ. पल्लव ने खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि महादेव ऐप सट्टा में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी शामिल हैं। इस दौरान उन्होंने कॉन्स्टेबल सहदेव को ऑनलाइन सट्टा ऐप में संलिप्तता उजागर होते ही सस्पेंड कर दिया था।
उनसे पहले के दुर्ग एसपी रहे बीएन मीणा ने मामले में 10-15 आरक्षकों को लाइन अटैच किया था, लेकिन मीणा के जाने के बाद डॉ. पल्लव ने बल की कमी और पुख्ता सबूत न मिलने की बात कहते हुए सहदेव और भीम को छोडक़र सभी को बहाल कर दिया था।
दुबई से सतनाम के संपर्क में था सहदेव
पुलिस ने जांच के दौरान जब सीडीआर डिटेल निकाला तो कई चौंकाने वाले सबूत सामने आए थे और इसमें सिपाही भीम और सहदेव दोनों के कनेक्शन सीधे दुबई से मिले। सहदेव सट्टा चलाने वाले और दुबई में बैठे सन्नी सतनाम से लगातार बात करता था। वह कई महीने तक बिना किसी जानकारी के गायब भी था। इस दौरान उसका लोकेशन मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में मिलता रहा और वहीं ऑनलाइन सट्टा ऐप का पैनल भी चल रहा था। इसका पता दुर्ग सीएसपी वैभव बैंकर और छावनी सीएसपी प्रभात कुमार की जांच में चला था।
भीम की गिरफ़्तारी से मचा हड़कंप
पुलिस कार्रवाई से अपनी पहुंच के चलते लंबे समय से बचते आ रहे पुलिस वालों में से एक भीम सिंह यादव को जैसे ही ED ने गिरफ्तार किया, ऐसे सभी पुलिस कर्मियों में अफरा-तफरी मच गई है। सभी ईडी के घेरे से बचने के लिए जुगत में लग गए हैं।
मामूली सिपाही और करोड़पतियों जैसी लाइफ-स्टाइल
सिपाही भीम भले ही पुलिस लाइन दुर्ग में रहता है लेकिन उसका रहन सहन सबसे आलीशान है। महादेव की बदौलत अकूत काला धन इन दोनों भाइयों ने जमा किया और नेहरू नगर में आलीशान घर भी बनवा लिया है। महज कुछ हजार तनख्वाह पाने वाले दुर्ग पुलिस के ये सिपाही अपने बच्चे की बर्थडे पार्टी शहर के सबसे महंगे रेस्टोरेंट रोमन पार्क में देते रहे हैं। सहदेव के पास कई महंगी गाड़ियां हैं। शहर के पॉश इलाके में प्लॉट और आलीशान मकान भी है।
बहरहाल देखना यह है कि महादेव सट्टे के इस कारोबार में ED का अगला शिकार कौन बनता है। इस कारोबार बड़ी संख्या में लोग शामिल हैं। मगर शासकीय विभाग से जुड़े लोगों का इस कारोबार में रहकर संचालन करना और भी गंभीर मसला है। ED के खुलासे के बाद पुलिस विभाग से और कौन लोग पकड़ में आते हैं, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।