Bihar Increase Caste Quota: बिहार के विधानसभा सत्र के दौरान मंगलवार (07 नवंबर) को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से आरक्षण का दायरा 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी करने का प्रस्ताव पेश किया था, जो कि गुरुवार को पारित हो गया है। बिहार में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण बढ़ाने की मांग वाला आरक्षण संशोधन विधेयक गुरुवार को बिहार विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हो गया।

बिहार कैबिनेट ने मंगलवार को राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए कोटा बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत की सीमा से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का प्रस्ताव पेश किया था।

बीजेपी विधायक ने समर्थन दिया

बीजेपी की ओर से विधानसभा में इस विधेयक का समर्थन करते हुए नंद किशोर यादव ने कहा कि उनकी पार्टी का हमेशा से मानना रहा है कि देश तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों का उत्थान नहीं होता।

जानिए अब कितना होगा आरक्षण

बिहार में अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कोटा (EWS) के लिए केंद्र के 10 प्रतिशत कोटा के साथ, प्रस्तावित आरक्षण 75 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। जिसमें अनुसूचित जाति (एससी) को 20 फीसदी, अनुसूचित जनजाति (एसटी)को 2 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की 43 फीसदी हिस्सेदारी होगी।

बिहार में मौजूदा आरक्षण का प्रतिशत

वर्तमान में बिहार में राज्य की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ईबीसी के लिए 18 प्रतिशत, ओबीसी के लिए 12 प्रतिशत, एससी के लिए 16 प्रतिशत, एसटी के लिए 1 प्रतिशत और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए 3 प्रतिशत आरक्षण है।

जातिगत सर्वे की ये है रिपोर्ट

बिहार में हाल ही में जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी किए गए हैं। जिनके मुताबिक़ राज्य में अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01%, पिछड़ा वर्ग 27.12%, अनुसूचित जाति 19.65%, और अनारक्षित यानी सवर्ण जातियां क़रीब 15.52%हैं। वहीं,अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68% है।

इसी तरह आर्थिक सर्वे के आंकड़े मंगलवार को सदन में आर्थिक सर्वे की पेश की गई रिपोर्ट में पिछड़ा वर्ग के 33.16%, सामान्य वर्ग में 25.09%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 33.58%, SC के 42.93% और ST 42.7% गरीब परिवार हैं। जिस पर नीतीश कुमार ने विधानसभा में कहा था कि जातिगत सर्वे की रिपोर्ट को देखते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए कोटा बढ़ाने की जरूरत है।

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