रायपुर। शिक्षा विभाग के मंत्रालय से कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड के तत्कालीन BEO एल एस जोगी सहित 6 कर्मियों को भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता के मामले में निलंबित करने काआदेश जारी हुआ है। आश्चर्य की बात यह है कि इनमें से BEO और एक व्याख्याता को छोड़ कर 3 को संयुक्त संचालक द्वारा पूर्व में निलंबित किया जा चुका है, वहीं कलेक्टर दर पर काम कर रहे कंप्यूटर ऑपरेटर को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था। निलंबित तीनों कर्मी बहाल भी हो चुके हैं और इनमें से एक प्रधान पाठक तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
खुलकर की अनियमितता
कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड के तत्कालीन BEO एल एस जोगी द्वारा दो शिक्षकों और एक कर्मचारी को लंबे समय तक गैरहाजिर रहने के बाद भी ज्वॉइनिंग दे दी गई और उनका अवकाश स्वीकृत कर दिया गया। इतना ही नहीं, BEO और बाबुओं द्वारा मिलीभगत करके एक कर्मचारी के अवकाश का 13 लाख 57 हजार रूपये का भुगतान भी कर दिया गया। इसके अलावा तमाम गड़बड़ियां इन्होने की थी।
गैरहाजिर शिक्षकों को अवैध तरीके से दे दी जॉइनिंग
पूर्व BEO एल एस जोगी ने 9 साल से गैरहाजिर प्राथमिक शाला सिकटापारा में पूर्व में पदस्थ रहे सहायक शिक्षक विष्णु कुमार बिंझवार को 20 जनवरी 2022 को पुनः उसी विद्यालय में डयूटी ज्वाईनिंग का आदेश दे दिया। एक अन्य मामले में प्राथमिक शाला मिसिया से 2018 से अनुपस्थित शिक्षिका शिखा राय को 10 जनवरी 2022 को ज्वाइनिंग का आदेश भी जोगी ने जारी कर दिया। कुछ अन्य शिक्षकों के अवकाश को भी गलत तरीके से स्वीकृत करने के बाद उन्हें भुगतान किया गया। इनमे वीरेंद्र राठिया, विजय कुमार कुजूर, आसिफ खान और महावीर तांडिया नामक शिक्षकों के नाम उजागर हुए हैं।
7 साल से गैरहाजिर चपरासी को किया उपकृत
हाईस्कूल पसान में पदस्थ भृत्य बहादुर राम कोरवा लगातार 79 महीने याने सात साल तक अनुपस्थित रहा। पूर्व BEO एल.एस. जोगी ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उसकी पूरे 79 महीने (2220 दिन) की छुट्टी स्वीकृत कर दी, और इतने महीनों का वेतन आहरण करने का आदेश दे दिया, जबकि BEO को 3 माह तक का वेतन आहरण की अनुमति देने का ही अधिकार है।
लाखों रूपये का कर दिया भुगतान..!
पोड़ी- उपरोड़ा के तत्कालीन BEO एलएस जोगी तथा बाबू प्रदीप कुमार मिश्रा, छवि कुमार गहिरवाल ने सांठ- गांठ कर भृत्य बहादुर राम के खिलाफ कार्यवाही करने की बजाय 89 अलग-अलग आदेश निकालकर 2220 दिन के अवकाश की स्वीकृति दे दी और तनख्वाह के रूप में 13 लाख 57 हजार रुपए का भुगतान कर दिया। इस तरह का मामला शायद पूरे छत्तीसगढ़ में कहीं भी नही आया है।
बीमा राशि भी हड़प ली
यहां पदस्थ एक भृत्य प्रफुल्ल खलखो की बीमा राशि 1 लाख 66 हजार रुपए का भी बाबुओं द्वारा गबन कर लिया गया और पीड़ित परिवार को आज तक बीमा राशि का भुगतान नही मिला तथा वह BEO आफिस का चक्कर काट- काटकर थक चुका है।
पूर्व में इन्हें किया जा चुका है निलंबित
शिक्षा संभाग बिलासपुर के तत्कालीन संयुक्त संचालक आर एन हीराधर द्वारा इस मामले की जांच कराये जाने के बाद प्रधान पाठक परमेश्वर प्रसाद बनवा (जिनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने BEO लोकपाल सिंह जोगी द्वारा दिए गए 2 लाख रूपये के बेयरर चेक को अपने नाम पर नगद भुगतान कराया) को निलंबित कर दिया गया। इसी तरह BEO कार्यालय के प्रभारी लेखापाल छब्बी कुमार गहिरवार को भी निलंबित किया गया। उनके निलंबन आदेश में BEO लोकपाल सिंह जोगी के कार्यकाल के दौरान की गई 11 गड़बड़ियों का उल्लेख है।
BEO कार्यालय में ही पदस्थ सहायक ग्रेड -2 पीके मिश्रा को भी निलंबित किया गया। मिश्रा के ऊपर भी गलत तरीके से भुगतान करने में BEO लोकपाल सिंह जोगी का सहभागी माना गया। इसके अलावा BEO कार्यालय में ही तैनात कंप्यूटर ऑपरेटर बृजेन्द्र कुमार बानी को केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।
निलंबित सभी कर्मी बाद में DEO कोरबा के आदेश पर बहाल कर दिए गए, वहीं इनमे से परमेश्वर प्रसाद बनवा सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। हालांकि अवर सचिव द्वारा जारी निलंबन आदेश में त्रुटिवश इनका नाम “रामेश्वर प्रसाद” लिखा हुआ है।
दबा दी गई थी फाइल
शिक्षा संभाग बिलासपुर के तत्कालीन संयुक्त संचालक आर एन हीराधर द्वारा इस मामले में BEO जोगी और व्याख्याता (प्रभारी प्राचार्य) प्रवीण कुमार साहू के खिलाफ कार्यवाही के लिए संचालक, लोक शिक्षण (DPI) को जांच प्रतिवेदन भेजा गया। मगर कोई कार्यवाही करने की बजाय BEO जोगी का तबादला करते हुए इसी पद पर तखतपुर भेज दिया गया। बताया जाता है कि पूर्व शिक्षा मंत्री के एक OSD जो एक जिले के प्रभारी DEO भी थे, का वरदहस्त प्राप्त था, जिन्होंने कार्यवाही की अनुशंसा वाली फाइल ही दबा दी थी।
मंत्रालय से हुई कार्यवाही
इस बहुचर्चित मामले में दबी हुई फाइल तब निकाली गई जब इसको लेकर शिक्षा विभाग के मंत्रालय में कोई शिकायत हुई। चूंकि मामले की जांच हो चुकी थी, इसलिए उसी के आधार पर निलंबन की कार्यवाही की गई। हालांकि यह कार्यवाही करने वाले अवर सचिव आर पी वर्मा को यह भी पता नहीं कि इनमें से 3 को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। वहीं कंप्यूटर ऑपरेटर बृजेन्द्र कुमार वानी कलेक्टर दर पर कार्यरत है, और जानकर बताते हैं कि इस श्रेणी के तहत कार्य करने वाले कर्मचारियों को दोषी पाए जाने पर निलंबित करने की बजाय सीधे बर्खास्त करने का प्रावधान होता है।
दोबारा किये जा सकते हैं निलंबित
एक ही मामले में कर्मचारियों को दोबारा निलंबित किये जाने की कार्रवाई के संबंध में TRP न्यूज़ ने शिक्षा संभाग बिलासपुर के संयुक्त संचालक (JD) रामायण आदित्य से सवाल किया, तब उन्होंने कहा कि अगर इस मामले में संबंधितों को कोई सजा नहीं हुई है और वे पूर्व में निलंबित होकर बहाल भी हो गए हों तो भी उन्हें दोबारा निलंबित किया जा सकता है। चूंकि निलंबन के बाद विभागीय जांच होती है और संबंधित कर्मी जांच को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए शासन के आदेश को मानते हुए संबंधितों को दोबारा निलंबित किया जा सकता है। हाल ही में पदस्थ हुए JD आदित्य ने इस प्रकरण के संबंध में अनभिज्ञता जताई है।
क्या होगा बहाल किये गए कर्मियों का ..?
शिक्षा विभाग द्वारा की गई इन कार्रवाइयों के बीच उन कर्मियों की कहीं भी कोई चर्चा नहीं हो रही है, जो सालों तक गैरहाजिर थे और उन्हें BEO ने बिना किसी अधिकार के बहाल कर दिया। वे कर्मचारी आज बाकायदा नौकरी कर रहे हैं। जबकि जानकर बताते हैं कि बिना बताये अधिकतम 3 साल से ज्यादा अनुपस्थित रहने वाले शासकीय सेवक को बर्खास्त माना जाता है, मगर इस अनूठे मामले में 7 और 9 साल से अनुपस्थित भृत्य और शिक्षक को बहाल किया गया है। इस संबंध में सवाल करने पर संयुक्त संचालक (JD) रामायण आदित्य ने कहा कि वे प्रकरण देखकर ही कुछ कह सकेंगे।