नई दिल्ली। बीजेपी के प्रमुख जे पी नड्डा की अध्यक्षता में चुनाव समिति ने छत्तीसगढ़ की बी सी और डी कैटेगरी की कुल 27 सीटों को लेकर चर्चा की। सभी के लिए उम्मीदवारों के पैनल पर भी चर्चा की गई है। ए श्रेणी पर चर्चा अंतिम चरण में होगी। ये वो सीटें हैं जहां जहां जीत मिली और कांग्रेस के मंत्री और वरिष्ठ विधायक मैदान में रहे ।
समय पूर्व प्रत्याशी चयन पहली बार
बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने देर रात तक बैठक कर उम्मीदवारों के चयन का क्राइटीरिया तय कर लिया है। बीजेपी के चुनावी इतिहास में ऐसा पहली बार है जब चुनाव की घोषणा से पहले उम्मीदवारों के सलेक्शन पर हाई कमान ने मंथन किया, वर्ना अब तक प्रदेश से मिले नाम पर अंतिम मुहर लगाया जाता रहा है।
सीटों का इस तरह हुआ विभाजन
सूत्रों के मुताबिक, चर्चा में राज्य इकाई की तरफ से सीटों के कैटेगराइजेशन को केंद्रीय चुनाव समिति के सामने रखा गया। जिन 27 सीटों को लेकर चर्चा हुई, उनमें से कुल 22 सीटें ‘बी’ और ‘सी’ कैटेगरी और 5 सीटें ‘डी’ कैटेगरी में विभाजित की गई हैं।
‘बी’ कैटेगरी में उन सीटों को रखा गया है जिन पर बीजेपी उम्मीदवार कभी हारे और कभी जीते हैं, ‘सी’ कैटेगरी में उन सीटों को रखा गया जिन्हें पार्टी दो बार से ज्यादा हारी है, ‘डी’ कैटेगरी में उन सीटों को रखा गया है जिन पर बीजेपी कभी नहीं जीती है. इन कमजोर सीटों पर उम्मीदवारों के नामों के पैनल पर भी चर्चा हुई है.
जातिगत और जिताऊ उम्मीदवार का फार्मूला
इस बैठक में छत्तीसगढ़ की इन 27 सीटों पर जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर जिताऊ उम्मीदवारों के नामों पर भी चर्चा की गई है, लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि इन उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कब की जाएगी। उससे पहले तय प्रत्याशियों को तैयारी का इशारा कर दिया जाएगा।
बैठक में तीनों प्रभारी ओम माथुर, नितिन नवीन, डॉ.मांडविया, पूर्व सीएम रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, महामंत्री अजय जामवाल, पवन साय, विजय शर्मा और ओपी चौधरी बुलाए गए थे।
पिछली हार से सबक लेकर नई रणनीति
बता दें कि 2018 के चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था।तब बीजेपी को 90 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 15 पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस ने राज्य के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा 68 विधानसभा सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. हालांकि, उसके तुरंत बाद हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जबरदस्त वापसी करते हुए 11 सीटों में से 9 सीटें जीती थीं. अब बीजेपी समय से पहले चौकन्ना होकर चुनाव की तैयारी में जुट गई है और पिछले लोकसभा चुनाव की जीत को इस बार विधानसभा में बदलना चाहती है।