चिरमिरी। प्रदेश के सभी जिलों में अच्छी पढ़ाई के लिए आत्मानंद स्कूल की स्थापना तो की जा रही है, मगर जहां शिक्षा की अलख जगाने की जरुरत है, वहां न तो राजनेता ध्यान दे रहे हैं और न ही अधिकारी। वनांचल से घिरे छत्तीसगढ़ के ऐसे इलाके जो मुख्यालय से दूरी पर स्थित हैं वहां शिक्षा का स्तर ऊँचा करने की जरुरत है मगर इस ओर न तो ध्यान दिया जा रहा है और न ही शिक्षा व्यवस्था की निगरानी की जा रही है। यही वजह है कि यहां के स्कूलों में तैनात किये गए शिक्षक घर में आराम फरमाते हैं और चपरासी स्कूल चलते हैं।

प्रवेश उत्सव के बाद नजर नहीं आये शिक्षक

छत्तीसगढ़ का जिला MCB याने मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के दूरस्थ वनांचल क्षेत्र विकासखंड भरतपुर के बड़गांवकला स्थित शासकीय माध्यमिक शाला में पदस्थ दोनों शिक्षकों के ‘दर्शन’ गर्मी की लंबी छुट्टी के बाद 26 जून को आयोजित शाला प्रवेश उत्सव के दिन हुए, उसके बाद से स्कूल के बच्चों ने उन्हें कभी नहीं देखा। संभवतः इस दिन पांचवीं कक्षा पास करके पहुंचे बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिया गया होगा। इसके बाद से दोनों शिक्षक कभी स्कूल नहीं आये।

चपरासी कर रहा है स्कूल का प्रबंधन

ग्राम बड़गांवकला में प्राथमिक स्कूल भी संचालित है, जहां पदस्थ शिक्षकों में से भी एक-दो अक्सर गायब रहते हैं। मगर माध्यमिक शाला के कौशिक और अधीर तिवारी नामक शिक्षक तो पहले दिन के बाद से ही गैरहाजिर हैं। जबकि यहां के सरपंच और जनपद सदस्य इसकी कई बार शिकायत कर चुके थे। इन्हीं के माध्यम से खबर मिलने पर स्कूल पहुंचे संवाददाता को विद्यालय का चपरासी सोहन बैगा मिला, जिसने बताया कि सर लोग ‘स्कूल को देखना’ कहकर गए हैं। काफी दिनों से दोनों नहीं आये हैं। अब वही स्कूल खोलता और बंद करता है। स्कूल की कक्षाओं में कुछ बच्चे भी नजर आये, जिन्होंने बताया कि वे हर रोज आते हैं, मध्यान्ह भोजन तक स्कूल में बैठते हैं और भोजन करने के बाद घर चले जाते हैं।

संकुल शिक्षक खुद नदारद तो फिर…

बता दें कि प्रदेश भर में सरकारी स्कूलों में हर रोज की मॉनिटरिंग के लिए शिक्षा विभाग ने निचले स्तर पर संकुल शिक्षक और उनके ऊपर जनशिक्षक की पदस्थापना की है, जिनकी जिम्मेदारी ये होती है कि वे हर रोज स्कूलों के बारे में पता लगाएं कि स्कूल खुला कि नहीं और शिक्षक आये कि नहीं। इस मामले में मजे की बात यह है कि बड़गांवकला के जिस मिडिल स्कूल में पदस्थ दो शिक्षक गैरहाजिर चल रहे हैं, उनमे से एक “कौशिक सर” खुद संकुल शिक्षक हैं और वे अगर नहीं आ रहे हैं तो उनके अधीन आने वाले दूसरे स्कूलों की मॉनिटरिंग कौन करता होगा। स्वाभाविक है कि इलाके के दूसरे स्कूल भी भगवान भरोसे चल रहे होंगे। कौशिक सर ही यहां के ग्राम बघेल स्थित छात्रावास के अधीक्षक हैं, अब भला ये भी सोचने वाली बात है कि अधीक्षक के नहीं होने से छात्रावास किस तरह चलता होगा ?

इलाके के जनपद सदस्य प्रकाश नारायण और सरपंच जीवनलाल ने बताया कि कई बार शिकायत करने पर भी कोई कार्यवाही नहीं होने से शिक्षकों के हौसले बुलंद हैं, ऐसे में शिक्षा का स्तर कैसे सुधरेगा। सोशल मीडिया के इस दौर में ग्रामीणों को भी पता है कि अगर उनके बच्चे अच्छी तरह पढ़-लिख लेंगे तो आगे उनका भविष्य उज्जवल होगा, मगर बड़गांवकला जैसे गांव के इस स्कूल में बच्चे केवल मध्यान्ह भोजन करने आते है और उसके बाद चले जाते है। ऐसे में जिम्मेदार अपने कार्यालय में बैठ कर टाइम पास करते हैं। इलाके का संकुल शिक्षक अगर नदारद है तो ऐसा भी नहीं है कि उनके ऊपर पदस्थ जनशिक्षक या फिर BEO इधर झांकने भी आते हों।

BEO के आकस्मिक निरीक्षण में पहुँच गए शिक्षक

बता दें कि बड़गांवकला नामक यह गांव MCB जिला मुख्यालय से 110 किलोमीटर और जनकपुर से लगभग 60 किलोमीटर दूरी पर है। जिम्मेदार अधिकारियों के यहां तक नहीं पहुँचने की एक वजह यह दूरी भी हो सकती है। मगर जैसे ही इस इलाके के न्यूज कवरेज की जानकारी जिला मुख्यालय तक पहुंची यहां के जिला शिक्षा अधिकारी अजय मिश्रा ने भरतपुर के खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) को संबंधित स्कूल का ‘आकस्मिक निरीक्षण’ करने के लिए भेजा। मगर ये क्या BEO ‘साहब’ यहां का किस तरह’आकस्मिक निरिक्षण करने के लिए पहुंचे कि यहां लगभग महीने भर से नदारद दोनों शिक्षक (कौशिक सर और अधीर तिवारी) स्कूल में मौजूद थे।
BEO के निरीक्षण के बाद उनसे हुई बातचीत के आधार पर DEO अजय मिश्रा ने संवददाता को दिए बयान में बताया कि बड़गांवकला के माध्यमिक शाला में पदस्थ दोनों शिक्षक उपस्थित मिले वहीं प्राथमिक शाला में एक शिक्षक अनुपस्थित रहे। हालांकि DEO ने कहा कि वे लिखित में जांच प्रतिवेदन मिलने के बाद यह भी पता लगाएंगे कि क्या माध्यमिक स्कूल के दोनों शिक्षक लम्बे समय से गैरहाजिर थे, और अगर ऐसा मिला तो वे कार्रवाई जरूर करेंगे।

ग्रामीणों का ये है आरोप

जनप्रतिनिधि और गांववाले आरोप लगाते हैं कि नीचे से ऊपर तक सब मिले हुए हैं। इनका सवाल ये है कि शिक्षण व्यवस्था में जब स्कूल से लेकर मुख्यालय स्तर तक सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और सभी को ऊपर तक हर रोज जानकारी देनी होती है, तो अधिकारियों के संज्ञान में शिक्षकों की गैरहाजिरी की सूचना कैसे नहीं मिली होगी। वैसे भी बड़गांवकला के माध्यमिक शाला के बारे सरपंच और जनपद सदस्य ही नहीं,बच्चों के अभिभावक ऊपर तक शिकायत कर चुके थे, मगर मीडिया के कवरेज के पहले कोई भी अधिकारी इस स्कूल में झाँकने तक नहीं आया।

बता दें कि दोनों शिक्षकों में से एक अधीर तिवारी मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं और उन्होंने इसी गांव में मकान किराये पर ले रखा है, मगर वे अक्सर थोड़े दिन गांव में रूककर फिर गायब हो जाते हैं, वहीं कौशिक सर यहां से 60 किलोमीटर दूर जनकपुर में निवास करते हैं, अब इतनी दूर से हर रोज उनका आना संभव कैसे होगा ? बात वही है कि जब तक आपके अंदर इच्छा शक्ति नहीं होगी आपअपने बारे में तो अच्छा सोच सकते हैं, मगर उन बच्चों को आगे बढ़ाने की सोच ही नहीं सकते, जो इतने अभावों में गांवों में पल रहे हैं। शिक्षा का अधिकार उनका भी उतना ही है, जितना शहर में पढ़ने वाले बच्चों का है। बहरहाल जिले के मुखिया, जिला शिक्षा अधिकारी और इलाके के जनप्रतिनिधियों को आत्मानंद स्कूलों के साथ ही दूरस्थ इलाकों में बसे गांवों में संचालित स्कूलों की ओर भी ध्यान देना चाहिए ताकि वहां के बच्चे भी पढ़ सकें और आगे बढ़ सकें।

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