रायपुर। छत्तीसगढ़ मे ED की कार्रवाई लगातार जारी है। यहां छापेमारी के दौरान ED को कुल 6.5 करोड़ कैश मिले हैं। कैश के अलावे सोने, चांदी के जेवहरात मिले हैं। ईडी ने पहली बार अधिकृत रूप से छापेमारी के दौरान जानकारी दी है। और यह भी बताया है कि किस तरह उच्च अधिकारी, राजनेता और दलालनुमा लोग मिलकर कोयले में लेवी वसूली का कारोबार चला रहे थे।
ईडी ने बताया कि तलाशी अभियान के दौरान बेहिसाब नकदी, सोना और जेवहरात आदि मिले हैं। छापेमारी के दौरान लगभग 6.5 करोड़ रुपये जब्त किए। इस मामले में अभी तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। विशेष अदालत, पीएमएलए, रायपुर ने ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए 3 व्यक्तियों (1 आईएएस अधिकारी सहित) को 21.10 तक 8 दिनों के लिए हिरासत में भेजा है।
फरार हो गया सूर्यकांत तिवारी
ED ने अपने प्रेस नोट में बताया है कि सूर्यकांत तिवारी फरार हो गया है। वहीं रानू साहू आईएएस (कलेक्टर रायगढ़) भी अपने सरकारी आवास से गायब पाई गईं। ईडी ने करीब 4.5 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी, सोने के आभूषण, सराफा और करीब दो करोड़ रुपये मूल्य के अन्य कीमती सामान जब्त किए हैं।
कोयले के एवज में अवैध लेवी वसूली
ईडी की जांच से पता चला है कि अवैध कोयला लेवी की जबरन वसूली तब तेज हो गई जब निदेशक, भूविज्ञान और खनन विभाग ने दिनांक 15.07.2020 को एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कोयले को खदानों से उपयोगकर्ताओं तक मैनुअल जारी करने के लिए ई-परमिट के पूर्व ऑनलाइन प्रक्रिया को संशोधित कर दिया गया।
खनन कंपनी द्वारा खरीदार के पक्ष में कोयला वितरण आदेश (सीडीओ) जारी किया जाता है और खरीदारों को रुपये की ईएमडी जमा करना आवश्यक है। खनन कंपनी के साथ 500रु प्रति मीट्रिक टन और 45 दिनों के भीतर कोयला उठाना भी आवश्यक है। बिना एनओसी के,खनन अधिकारी द्वारा कोयले के परिवहन के लिए ई-परमिट जारी नहीं किया जा सकता है।
ईडी की जांच से पता चला कि खनिज विभाग में कोई दस्तावेजीकरण प्रणाली ही नहीं थी। कई जगहों पर हस्ताक्षर गायब थे। नोट शीट गायब हैं। इसी नाम से पूछताछ की जाती है और कलेक्टर/डीएमओ की मर्जी से एनओसी जारी किए जाते हैं। 15.7.22 से बिना किसी एसओपी के 30,000 से अधिक एनओसी जारी किए गए हैं। आवक और जावक रजिस्टरों का रखरखाव नहीं किया गया था। अधिकारियों की भूमिका पर कोई स्पष्टता नहीं है। ट्रांसपोर्टर का नाम, कंपनी का नाम आदि जैसे कई विवरण खाली छोड़ दिए गए हैं।
जबरन वसूली गई लेवी
ED ने बताया है कि सूर्यकांत तिवारी के नेतृत्व में बहुत वरिष्ठ अधिकारियों की सहायता से कार्टेल ने जबरन वसूली का एक नेटवर्क बनाया, जिसके द्वारा कोयले के प्रत्येक खरीदार / ट्रांसपोर्टर को डीएम कार्यालय से एनओसी प्राप्त करने से पहले 25 रुपये प्रति टन का भुगतान करना पड़ता था। उन्होंने ऐसे लोगों को रखा जो रुपये इकट्ठा करते थे।
ED का अनुमान है कि कोयले के कारोबार में प्रतिदिन लगभग 2 से 3 करोड़ रुपये की लेवी की वसूली होती थी। तलाशी एवं जांच के दौरान लक्ष्मीकांत तिवारी के पास से 1.5 करोड़ रुपये नकद बरामद किया गया। उसने स्वीकार किया है कि वह रोजाना 1-2 करोड़ की जबरन वसूली करता था। एक बड़े कोयला व्यवसायी इंद्रमणि समूह के सुनील कुमार अग्रवाल इस रैकेट में शामिल था और सूर्यकांत तिवारी का एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार पाया गया था। 2009 बैच के आईएएस अधिकारी श्री समीर विश्नोई और उनकी पत्नी के पास से 47 लाख रुपये की बेहिसाब नकदी और 4 किलो के सोने के आभूषण पाए गए। सभी 3 व्यक्तियों को पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया गया और रायपुर पीएमएलए विशेष न्यायालय के समक्ष पेश किया गया, जिसने 21.10.2022 तक 8 दिनों की ईडी हिरासत प्रदान की है। आगे की जांच जारी है।