कोरबा। यहां के बंद पड़े एक पावर प्लांट की चिमनी देखते ही देखते ढेर हो गई। दरअसल कोरबा के छुरी खुर्द गांव के समीप वंदना पावर प्लांट स्थापित किया गया था। साल 2008– 09 में लगभग 700 एकड़ से अधिक भूमि का अधिग्रहण किया गया था। जिसमें 1050 मेगावाट क्षमता वाला संयंत्र स्थापित करने की योजना थी। पहले चरण में 35 मेगावाट की एक इकाई स्थापित की गई, लेकिन 4 माह के अंदर ही यूनिट बंद हो गई। कंपनी पर कर्ज बढ़ता गया, जिसके कारण संयंत्र को बंद करना पड़ा। यहां दो चिमनिया बनाई गई थी। जिसमें से एक चिमनी को आज डिस्मेंटल किया गया है।
इस संबंध में वंदना पावर प्लांट के मालिक प्रहलाद अग्रवाल अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि इसके बारे में PNB बैंक से संपर्क कर लें, संभवतः प्लांट नीलम हो चुका है, मगर किस पार्टी ने इसे लिया है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।
कर्ज की वसूली के बैंक का ये है तरीका
गौरतलब है कि 2200 करोड़ के वंदना विद्युत् और वंदना एनर्जी के निर्माण के लिए संबंधित फर्म को SBI, पंजाब नेशनल बैंक और कुछ अन्य बैंकों ने अलग-अलग लोन दिया था। चूंकि दोनों प्लांट को घाटा दिखा कर बंद कर दिया गया, और इसके बाद बैंकों ने दोनों प्लांट को अपने कब्जे में ले लिया। पता चला है कि SBI द्वारा प्लांट का एसेसमेंट कराया गया तब इसकी वैल्यू लगभग साढ़े 6 सौ करोड़ निकली। बैंक द्वारा कई बार प्लांट की नीलामी की सूचना निकाली गई, मगर बताया जा रहा है कि किसी ने इसमें रूचि नहीं दिखाई।
अब यह जानकारी आ रही है कि बैंकों द्वारा दोनों प्लांट को डिस्मेंटल करने और स्क्रैप बेचकर अपना घाटा पूरा करने की योजना के तहत काम ठेके पर दे दिया गया है। वर्तमान में दोनों प्लांट में दूसरे राज्यों से सैकड़ों मजदूर लाकर प्लांट में लगी मशीनों को कटिंग करने का काम किया जा रहा है। इसी के तहत एक चिमनी को गिराया गया है, ताकि उसके स्क्रैप को निकाला जा सके। हालांकि बैंक प्रबंधन द्वारा फोन नहीं उठाने की वजह से इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है, मगर यह तय है कि अरबों की लागत से स्थापित छुरी के पावर प्लांट को डिस्मेंटल करने और स्क्रैप लोड करके बाहर भेजने का काम जोरों से चल रहा है।