आगे नहीं है मुफ्त शिक्षा का प्रावधान
बर्थ टू एट्टीन की मुहिम की गई शुरू
कांग्रेस के घोषणापत्र में है 12वीं तक शिक्षा
रायपुर। शिक्षा के अधिकार के तहत कक्षा 8 वीं तक ही मुफ्त शिक्षा दी जाती है। वर्तमान में इस कानून के तहत निजी विद्यालयों में प्रवेश लेने वाले अनेक बच्चे कक्षा 8 वीं में पढ़ रहे हैं, ऐसे लोगों के लिए चिंता का विषय यह है कि आर्थिक रुप से कमजोर परिवार के ये बच्चे मोटी रकम खर्च कर उसी निजी विद्यालय में अगली कक्षाओं में प्रवेश लेंगे, या फिर मजबूरी में सरकारी विद्यालय में पढ़ाई करेंगे। इसे लेकर आर टी ई कार्यकर्ताओं ने “बर्थ टू एट्टीन शिक्षा” की मुहिम शुरू की है।
निर्धन और पिछड़े वर्ग के परिवारों के बच्चे भी अच्छी शिक्षा ग्रहण करें, इसके लिए शिक्षा का अधिकार कानून बनाया गया। इसके तहत ऐसे बच्चों के लिए 6 से 14 वर्ष तक निजी विद्यालयों में मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है। शुरुआती दौर में जिन स्कूलों में “के जी” से पढ़ाई शुरू होती है उनके लिए नियम में सुधार किया गया और विद्यालय की प्रथम कक्षा में प्रवेश का प्रावधान बनाया गया। लेकिन अब ये समस्या आ रही है कि आर टी ई के तहत लाभ उठाने वाला विद्यार्थी कक्षा 8 वीं के बाद कहाँ पढ़ाई करे? इसे लेकर पालकों के साथ ही आर टी ई से जुड़े संगठन और कार्यकर्ता भी चिंतित हैं। इनका मानना है कि 8वी के बाद बच्चे या तो पढ़ाई छोड़ देंगे, या फिर मजबूरी में किसी सरकारी स्कूल में प्रवेश लेकर पढ़ाई करेंगे। आर टी ई कार्यकर्ताओं का कहना है कि अधिकांश शालात्यागी बच्चे या तो श्रमिक बन जाते हैं या फिर मानव तस्करी का शिकार हो जाते हैं।
इनकी मांग है कि आर टी ई का लाभ 18 वर्ष याने 12वीं तक दिया जाना चाहिए।
उधर पालकों की चिंता इस बात को लेकर है कि पहली से लेकर उनके बच्चे ने 8वीं तक आर टी ई के तहत निजी विद्यालय में पढ़ाई तो कर ली, अब आगे क्या होगा। उधर शिक्षा विभाग का भी मानना है कि RTE के तहत बच्चों को 12वीं तक की शिक्षा मिलनी चाहिये।
घोषणा पत्र पर अमल की है जरूरत
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में कहा था कि सरकार बनने पर आर टी ई में 12वी तक की शिक्षा का प्रावधान कर दिया जायेगा। आर टी ई से जुड़े संगठनों को उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में कदम उठाएगी, वहीं देश भर में आर टी ई के कानून में सुधार के लिए आर टी ई फोरम और कुछ अन्य संगठन “बर्थ टू एट्टीन्” की मुहिम शुरू करने जा रहे हैं, जिसमें केंद्र सरकार से मांग की जायेगी कि आर टी ई के तहत बच्चों को 18 वर्ष तक लाभ दिया जाए। स्कूल की शिक्षा 12वी तक होती है, मगर तत्कालीन सरकार ने आर टी ई के कानून के दायरे में केवल 14 वर्ष याने 8वी तक के बच्चों को ही शामिल किया। अब जब शुरुआती दौर में
आर टी ई के तहत प्रवेश लेने वाले बच्चे 8वी पास करके बाहर निकल रहे हैं तब इनके भविष्य को लेकर चिंता करना स्वाभाविक है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों को आर टी ई के कानून में बदलाव करने की जरूरत है, ताकि शालात्यागी बच्चों की संख्या में कमी लाई जा सके।