आधी ही भर पाती हैं आर टी ई की सीटें
ऑनलाइन प्रक्रिया से परेशान हैं पालक
रायपुर। शिक्षा के अधिकार कानून को लागू हुए लगभग एक दशक होने जा रहा है, लेकिन सरकार द्वारा अब तक कोई ऐसा ठोस इंतजाम नहीं किया जा सका है जिससे हर वर्ष अधिक से अधिक जरूरतमंद बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाया जा सके। आलम ये है कि पूरे छत्तीसगढ़ में पिछले दो वर्षों से आर टी ई की आधी सीटें भी नहीं भर पा रही हैं। आर टी ई के लिये काम कर रहे संगठनों का कहना है कि इसके लिए प्रवेश की जो ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की गई है उसकी ठीक जानकारी नहीं होने से हजारों लोग इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं, वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी बताते हैं कि स्कूल विशेष में अपने बच्चों को भर्ती करने की प्रवृत्ति के चलते ऐसा हो रहा है।
शिक्षा का अधिकार कानून जब देश भर में लागू किया गया, तब ऐसा लगा कि बड़ी संख्या में निर्धन और पिछड़े वर्ग के बच्चे निजी विद्यालयों में पढ़ाई कर सकेंगे। मगर बरसों बीत जाने के बाद भी बड़ी संख्या में जरूरतमंद बच्चे इस कानून का लाभ उठाने से वंचित हो रहे हैं। हर वर्ष शिक्षा सत्र की शुरुआत में शिक्षा विभाग की अगुवाई में आर टी ई के तहत सभी निजी विद्यालयों में प्रवेश के लिए पालकों से आवेदन लिए जाते हैं, जिला स्तर पर ये प्रक्रिया चलती है और पात्र बच्चों को उनके निवास के आसपास स्थित निजी विद्यालयों में प्रवेश दिलाया जाता है। निजी स्कूलों की मनमानी और व्यवस्था में खामियों के चलते बीते वर्ष छत्तीसगढ़ में आर टी ई के तहत प्रवेश के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की गई।इसके तहत पारदर्शिता जरूर आयी, और निजी स्कूलों के सीटों की संख्या में इजाफा भी हुआ, मगर इसके उलट आर टी ई के तहत प्रवेश लेने वाले बच्चों की संख्या घट गई। पूरे राज्य की बात करें तो पिछले वर्ष याने सन 2018-19 में आर टी ई के तहत निर्धारित 80 हजार 243 सीटों में से 40 हजार 254 सीटें ही भर पायीं और शेष खाली रह गईं। इससे एक वर्ष पूर्व प्रदेश भर की लगभग 70 हजार सीटों में से 41 हजार 935 में जरूरतमंद बच्चों ने प्रवेश लिया था। आंकड़ों पर गौर करें तो बीते वर्षों में आर टी ई के तहत प्रदेश के स्कूलों में जितने बच्चों ने प्रवेश लिया, लगभग उतने ही बच्चे इस कानून का लाभ उठाने से वंचित रह गए। शिक्षा के अधिकार कानून को अच्छी तरह लागू कराने के लिए प्रयास कर रहे कार्यकर्ताओं का मानना है कि निचले तबके के लोगों को आर टी ई की ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया भारी पड़ रही है, क्योंकि वे इसके जानकार नहीं हैं, वहीं फॉर्म भरने के नाम पर चॉइस सेंटर या इंटरनेट कैफ़े के लोग उनसे ज्यादा रकम वसूल रहे हैं। कई बार तो सर्वर नहीं होने के चलते उन्हें दिक्कत होती है। आर टी ई फोरम, छ.ग. के संयोजक गौतम बंदोपाध्याय
बताते हैं कि निचले तबके में लोगों में जागरूकता का अभाव है, जिसके चलते ऑनलाइन आवेदन करने में उन्हें परेशानी होती है, वहीं कई बार सर्वर डाउन होने के चलते आवेदन फॉर्म बार-बार रिजेक्ट हो जाता है। नया रायपुर के ग्राम परसदा स्थित सरकारी स्कूल की शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रामजी खिलवारे का भी यही कहना है। बच्चों के पालक चॉइस सेंटर या इंटरनेट कैफे के माध्यम से आवेदन भरते हैं, इस दौरान कई बार उन्हें लिंक कनेक्ट नहीं होने के चलते दिक्कत होती है, वहीं सर्वर भी बार-बार धोखा देता है।
लोगों में जागरूकता का है अभाव
छत्तीसगढ़ में शिक्षा के अधिकार के तहत ज्यादा से ज्यादा बच्चों को विद्यालयों में प्रवेश मिल सके, इसके लिए एनजीओ इंडस एक्शन काम कर रहा है। इस संस्था ने सर्वे में जो वजहें जानीं, उसके मुताबिक लोगों में जागरूकता का अभाव है, वहीं तकनीकी जानकारी की भी कमी है। इंडस एक्शन की छत्तीसगढ़ स्टेट लीड माधुरी धारीवाल ने बताया कि लोग एक ही आवेदन बार-बार भर देते हैं, वहीं कई तो अपने मोबाइल नंबर की जगह चॉइस सेंटर के संचालक का नम्बर डलवा देते हैं इससे भी परेशानी होती है। आर टी भर्ती का सिस्टम ऑनलाइन करने से यह फायदा जरूर हुआ है कि इसमें पारदर्शिता बढ़ गई है और निजी स्कूलों की आर टी ई की सीटों में बढ़ोत्तरी हुई है।
नामी स्कूल हैं लोगों की पसंद
आर टी ई के कानून के तहत निर्धारित सभी सीटें भरें, इसके लिए शिक्षा विभाग भरसक प्रयास करता है, लेकिन अब तक के नतीजे अच्छे नहीं रहे हैं, जिला शिक्षा अधिकारी, रायपुर, जी आर चंद्राकर यह तो मानते हैं कि प्रवेश की ऑनलाइन प्रक्रिया थोड़ी जटिल है, लेकिन उनका यह भी कहना है कि लोग अच्छे से अच्छे विद्यालय में अपने बच्चों को प्रवेश दिलाना चाहते हैं, इस फेर में एक ही विद्यालय में सीटों से काफी ज्यादा आवेदन जमा हो जाते हैं। अन्ततः लॉटरी पद्धति में अनेक बच्चे प्रवेश से वंचित रह जाते हैं, वहीं अनेक निजी विद्यालयों की आर टी ई की सीटें खाली की खाली रह जाती हैं।
इस तरह छत्तीसगढ़ में हर वर्ष बड़ी संख्या में जरूरतमंद बच्चे आर टी ई के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश लेने से वंचित रह जाते हैं। जरूरत है ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस कानून का लाभ दिलाने की। इसके लिये सरकार के साथ ही स्वयंसेवी संगठनों को भी आगे आना होगा। हर वर्ष आर टी ई से जुड़े नोडल अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के साथ ही जरूरतमंद परिवारों को जागरूक करने और इस कानून के बारे में बताने की जरूरत है, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें।